डीएनए हिंदी: कोरोना काल में सेहत सबसे बड़ा मुद्दा रहा है. यही वजह है कि इस दौरान लोगों ने अपनी सेहत और सरकार ने देश के हेल्थकेयर सेक्टर की सेहत दुरुस्त रखने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं. इस बार के बजट में भी हेल्थ सेक्टर के लिए कई बड़े एलान किए गए और स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को भी बढ़ाया गया. इसके बावजूद देश में स्वास्थ्य हालातों के मद्देनजर ये रकम काफी कम है.
स्वास्थ्य खर्च के मामले में कितना पीछे है भारत?
दरअसल, स्वास्थ्य खर्च के मामले में भारत अपने पड़ोसी मुल्कों से काफी पीछे है.
- भारत में हेल्थ एक्सपेंडिचर पर जीडीपी का 1 फीसदी खर्च किया जाता है.
- पाकिस्तान में भी हेल्थ एक्सपेंडिचर पर जीडीपी का 1.1 फीसदी खर्च होता है.
- वहीं चीन में जीडीपी का 3 फीसदी
- बांग्लादेश में 0.5 फीसदी
- इंडोनेशिया में 1.4 फीसदी
- फिलीपींस में 1.7 फीसदी
- विकसित देशों की लिस्ट में ब्रिटेन में 8.1 फीसदी
- अमेरिका में GDP का 8.5 फीसदी हेल्थ पर खर्च किया जाता है
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में भी स्वास्थ्य पर GDP के 3 परसेंट के बराबर खर्च किया जाना चाहिए.
स्वास्थ्य पर बजट के बाहर से होने वाले खर्च के मामले में भी भारत दुनिया के कई देशों से काफी पीछे है. इस मामले में
- भारत में 62.7 फीसदी रकम बजट के बाहर खर्च होती है
- पाकिस्तान में 56.2 फीसदी
- बांग्लादेश में 73.9 फीसदी
- चीन में 35.8 फीसदी
- इंडोनेशिया में 34.9 फीसदी
- फिलीपींस में 53.9 फीसदी
- ब्रिटेन में 16.7 फीसदी
- और अमेरिका में महज 10.8 फीसदी रकम ही महज बजट के बाहर से खर्च करनी पड़ती है
यानी भारत में इलाज का खर्च काफी ज्यादा है जिसे कम करने की सख्त ज़रुरत है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए उपकरणों, दवाओं के खर्च को भी इंसेटिव्स वगैरह देकर घटाया जाना चाहिए. अब देखना यह है कि स्वास्थ्य विभाग को सरकार निजी निवेश अथवा अन्य रास्तों से किस तरह बढ़ावा देगी.
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Health Sector: स्वास्थ्य खर्च में किस पायदान पर है भारत?