डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुई गहमागहमी का असर धीरे धीरे अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ने लगा है. हमले के बाद बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड ऑयल फ्यूचर्स ने 7 साल के बाद 100 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को छू लिया है. साल 2014 के बाद पहली बार तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गईं हैं. कयास लगाया जा रहा है कि इसका असर अन्य देशों पर भी पड़ेगा. वहीं भारतीय शेयर बाजार बुरी तरह टूटा है. भारत और रूस का रिश्ता काफी मजबूत माना जाता है. दोनों देश समय-समय पर हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े नजर आते हैं. 

भारत और रूस के बीच आयात-निर्यात का संबंध

भारत रूस को कपड़े, फार्मा उत्पाद, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, लोहा, स्टील, कैमिकल, कॉफी और चाय का निर्यात करता है. पिछले साल भारत ने रूस को 19,649 करोड़ रुपये का निर्यात किया और 40,632 करोड़ रुपये का आयात किया. 

भारत का यूक्रेन को निर्यात और आयात की जाने वाली चीजें 

भारत यूक्रेन को कपड़े, फार्मा उत्पाद, दालें, कैमिकल, प्लास्टिक का सामान, इलेक्ट्रिक मशीनरी का निर्यात करता है. इसी तरह से पिछले साल यूक्रेन को भारत ने 3,338 करोड़ रुपये का निर्यात किया और 15,865 करोड़ रुपये का आयात किया. 

प्राकृतिक गैस की कीमतें

भारत की कुल ईंधन खपत में प्राकृतिक गैस (Natural Gas) की हिस्सेदारी लगभग 6 प्रतिशत है. इस 6 प्रतिशत का 56 प्रतिशत भारत आयात करता है.

गैस का आयात 

ये आयात खास कर क़तर, रूस, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे जैसे देशों से होता है. कुएं से पहले गैस निकाली जाती है फिर उसे तरल (Liquid) किया जाता है और फिर समुद्री रास्ते से ये गैस भारत पहुंचती है. इस वजह से इसे लिक्विफाइड नेचुरल गैस यानी एलएनजी (LNG) कहा जाता है. भारत लाकर इसे पीएनजी और सीएनजी में बदल दिया जाता है. इसका इस्तेमाल कारखानों, बिजली घरों, सीएनजी वाहनों और रसोई घरों में होता है.

LNG की कीमतों में बढ़ोतरी 

रूस-यूक्रेन संकट के बीच एलएनजी (LNG) की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. रूस, पश्चिम यूरोप प्राकृतिक गैस का बड़ा निर्यातक है. इसी क्षेत्र में सारी पाइप लाइन बिछी हुई हैं. दोनों देशों के बीच छिड़ी जंग को देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि कहीं सप्लाई बाधित ना हो जाए. इसी आशंका की वजह से एलएनजी की कीमतें बढ़ रही है.

बता दें कि रूस 40 प्रतिशत तेल और प्राकृतिक गैस, यूरोप को बेचता है. अगर उसने भी ये बंद कर दिया तो स्थिति खराब हो सकती है.

खाद्य तेल पर पड़ेगा असर

यूक्रेन, विश्व का सबसे बड़ा रिफ़ाइन्ड सूरजमुखी के तेल का निर्यातक देश है. दूसरे स्थान पर रूस है. दोनों देशों के बीच तनाव इसी तरह से अगर लंबे समय तक जारी रहे तो घरों में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी के तेल की किल्लत भारत में भी हो सकती है.

इसके अलावा यूक्रेन से भारत फर्टिलाइज़र भी बड़ी मात्रा में ख़रीदता है. भारतीय नेवी के इस्तेमाल के लिए कुछ टर्बाइन भी यूक्रेन भारत को बेचता है.

कीमती पत्थर और धातु

इसके अलावा भारत, रूस से मोती, कीमती पत्थर, धातु भी आयात करता है. इनमें से कुछ का इस्तेमाल फोन और कंप्यूटर बनाने में भी होता है.

गाजियाबाद के व्यापार पर असर

रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध का असर अब गाजियाबाद के व्यापार पर भी देखने को मिल रहा है. यहां लगभग 80 से 100 फैक्ट्री ऐसी हैं जिनका इन दोनों देशों से एक्सपोर्ट या इंपोर्ट का काम है. इन दोनों देशों में गाजियाबाद से कृषि का सामान और कपड़े का निर्यात होता है. जबकि रूस और यूक्रेन से व्यापारी पेट्रोलियम पदार्थ और केमिकल आयात होता है लेकिन युद्ध की वजह से कुछ भी इंपोर्ट एक्सपोर्ट नहीं हो पा रहा है. गाजियाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन को अब तक लगभग 100 करोड़ का नुकसान हो चुका है.

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Effect of Russian-Ukraine War from gas to oil prices in India, 100 crore setback to Ghaziabad
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Russia-Ukraine War: व्यापार जगत में आने लगी है मंदी
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भारत में गैस से लेकर तेल के दामों तक Russian-Ukraine War का असर, गाजियाबाद को 100 करोड़ का झटका