डीएनए हिंदी: वर्तमान समय में मुद्राएं हमारे लिए कितनी जरूरी ये तो हम सभी जानते हैं. किसी भी प्रकार की चीज या सुख सुविधा को खरीदने के लिए हमें करेंसी की जरुरत होती है. यानी हम यह समझ सकते हैं कि वर्तमान समय में मुद्राओं के बिना जिंदगी जीना असंभव है. पहले के समय में यह संभव था लेकिन तब वस्तु विनिमय प्रणाली यानी आपस में सामान का अदला-बदली नियम लागू था. वस्तु विनिमय प्रणाली के अन्तर्गत हम एक वस्तु को दूसरे वस्तु से बदल सकते थे. मतलब हम चावल देने के बदले किसी व्यक्ति से कोई और अनाज या कोई और वस्तु ले सकते थे.
मुद्रा का इस्तेमाल
पुराने समय में विश्व के सभी देशों में व्यापार और चीजों को खरीदने बेचने के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली का ही इस्तेमाल होता था. आज के समय में हर एक देश की उसकी एक अपनी मुद्रा (currency) होती है जिसके जरिए उस देश के लोग अपने देश में कोई भी चीज या सुविधा खरीदते और बेचते हैं. हर देश की मुद्राओं की कीमत अलग अलग होती है. मतलब जब हम किसी दूसरे देश की मुद्रा का इस्तेमाल भारत में करते हैं तो भारतीय मुद्रा में उसको परिवर्तित करने पर उसकी कीमत अलग हो जाती है.
क्यों बढ़ती-घटती है मुद्रा की कीमत?
उदाहरण के लिए अगर हम 1 यूएस डॉलर को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करें तो उसकी कीमत 72.89 ₹ होगी. यह कीमत समय के मुताबिक बढ़ती घटती रहती है. किसी भी देश की मुद्रा के मजबूत या कमजोर होने का कारण उस मुद्रा का उपयोग होता है. प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों के मुद्राओं का भंडार होता है जिसका उपयोग लेन- देन के लिए होता है. इन्हीं मुद्रा भंडारों के घटने बढ़ने से मुद्रा की कीमत भी बढ़ती-घटती रहती है.
अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया के अधिकतर देशों द्वारा यूएस डॉलर का प्रयोग किए जाने और ज्यादातर देशों में स्वीकार किए जाने के कारण यूएस डॉलर को वैश्विक मुद्रा का स्थान प्राप्त है और इसी मुद्रा भंडार के कम या अधिक होने पर भारतीय रुपए के मजबूत और कमजोर होने का अनुमान लगाया जाता है.
दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा
कुवैत देश की मुद्रा दुनिया की सबसे ताकतवर मुद्रा है और इसका कारण यहां भारी मात्रा में पाए जानेवाले तेल का भंडार है जो कुवैत पूरी दुनिया में निर्यात करता है. इसका करेंसी कोड KWD है. 1 दीनार की कीमत भारत के 240.58 रुपए के बराबर है. ये कीमत समय के मुताबिक घटती-बढ़ती रहती है.
देखा जाये तो आज के समय में कुवैती दीनार दुनिया की सबसे महंगी करेंसी है. क्या आपको पता है कि आज से 70-80 साल पहले कुवैत में जो करेंसी जारी होता था उसे भारतीय सरकार करती थी. यानि RBI एक समय में कुवैत की करेंसी बनाया करता था और उस करेंसी का नाम था गल्फ रुपि (Gulf Rupee). यह बहुत हद तक भारतीय रूपया जैसा दिखने में था. इस गल्फ रूपी की खासियत यह थी की इसे भारत के अंदर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था. हालांकि 1961 में कुवैत को ब्रिटिश सरकार से आजादी मिली थी जिसके बाद 1963 में कुवैत पहली अरब कंट्री बन गई थी जहां पर सरकार का चुनाव हुआ था.
आपको बता दें की 1960 में कुवैती सरकार ने पहली बार अपनी पहली कुवैती करेंसी को इंट्रोड्यूस किया था. उस समय इसकी कीमत भारतीय रुपये के अनुसार 13 रुपये पर 1 कुवैती दीनार था. 1970 में कुवैती दीनार का इंटरनेशनल मार्केट में एक्सचेंज रेट फिक्स कर दिया गया to a basket of currency.हालांकि कुवैती दीनार आज भी फिक्स्ड रेट पर है. अब सोचिये की इतने सारे फायदे और नुकसान के बिच भी कुवैत का दीनार दुनिया की सबसे महंगी करेंसी कैसे बनी हुई है. इसके पीछे वजह है तेल. कुवैत के पास दुनिया का सबसे बड़ा तेलों का खदान है और इसी तेल के दम पर कुवैती दीनार की सबसे ज्यादा कीमत है.
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दुनिया की सबसे महंगी Currency कौन सी है, क्या आपको पता है?