डीएनए हिंदी: हर साल 24 फरवरी को 'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' मनाया जाता है. इस दिवस का संचालन केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अंतर्गत ‘केंद्रीय उत्पाद और सीमा शुल्क विभाग’ की ओर से किया जाता है. इस दिन को सेलिब्रेट करने के पीछे का कारण केंद्रीय उत्पाद और कस्टम बोर्ड ऑफ इंडिया का अर्थव्यवस्था में योगदान का सम्मान करना है. इसके अलावा ऑर्गेनाइजेशन के अधिकारियों को भी सम्मानित किया जाता है.
'केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस' का लक्ष्य आम लोगों को उत्पाद शुल्क और सेवा शुल्क की अहमियत बताना है. 24 फरवरी 1944 को केंद्रीय उत्पाद शुल्क और नमक कानून लागू किया गया था जिसके बाद यह हर साल मनाया जाता है.
केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस को मनाने के पीछे का उद्देश्य
‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस’ के दिन CBEC की तरफ से दी जा रही सेवाओं और उनसे जुड़े अधिकारियों को सम्मानित किया जाता है. इस दौरान पूरी ईमानदारी, कर्त्तव्यनिष्ठा और भविष्य में उन्हें मोटिवेट करने के लिए इस दिन सम्मानित किया जाता है. बता दें कि इस विभाग से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी हर साल विनिर्माण क्षेत्र के माल में भ्रष्टाचार की जांच करते हैं.
कारखानों में बने उत्पादों पर कर
केंद्रीय सीमा शुल्क और उत्पाद बोर्ड केंद्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के तहत आता है और यह एक तरह इनडायरेक्ट टैक्स है. सेंट्रल इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम बोर्ड के पास देश में कस्टम, GST, केंद्रीय एक्साइज, सर्विस टैक्स और नारकोटिक्स के प्रशासन की जिम्मेदारी होती है. यह एक तरह का अप्रत्यक्ष कर है जो कारखानों में बनी हुई तमाम उत्पादों पर लगता है. ब्रिटिश शासन में 1855 में उत्पाद शुल्क विभाग की स्थापना की गई थी. देश का लगभग एक तिहाई हिस्सा उत्पादन शुल्क से मिलता है. हालांकि 1944 से विभिन्न तरह की सेवाओं को भी टैक्स की श्रेणी में रखा गया है.
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Central Excise Day: क्यों मनाया जाता है केंद्रीय उत्पाद शुल्क दिवस?