डीएनए हिंदी: हम कहीं भी ट्रैवल कर रहे हों लेकिन जब गला सूखता है तो सबसे पहले बिसलेरी (Bisleri History) नाम ही दिमाग में आता है. अब आप यह सोचिए कि इस ब्रांड के बनने की कहानी कितनी पुरानी और दिलचस्प होगी. बिसलेरी का इतिहास लगभग 5 दशक पुराना है. इस कंपनी को फ्लाइस बिसलेरी ने बनाया था जो कि इटालियन थे. खैर ये तो हुई संस्थापक की बात लेकिन 1921 में फ्लाईस की मृत्यु के बाद डॉक्टर रॉसिस इसके नए मालिक बन गए. रॉसिस की कंपनी में कानूनी सलाहकार के तौर पर मुंबई का ही रहने वाला एक व्यक्ति काम कर रहा था. उस कानूनी सलाहकार का बेटा भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलने के लिए कानून की पढ़ाई कर रहा था. लेकिन यहां तकदीर को कुछ और ही मंजूर था. 

इस लड़के का नाम था खुसरो संतोक. खुसरो को रॉसिस का बिसलेरी को लेकर एक आइडिया इतना पसंद आया कि वह कानून की पढ़ाई को बीच में छोड़कर बिसलेरी के आइडिया पर काम करने लग गया. शायद से खुसरो को यह अनुमान हो गया था कि आने वाले समय में बिसलेरी एक नई क्रांति ला सकती है. और यहीं से शुरू होती है पूरी कहानी. 1965 में भारत में शुरू हुई बिसलेरी को शायद इस ऊंचाई का अनुमान नहीं था जिस मुकाम पर आज वह है क्योंकि उस वक्त आर्थिक स्थिति खराब होने कि वजह से एक रुपये में पानी की बोतल खरीदकर पानी पीने के बारे में छोड़िए लोग खरीदने तक के बारे में नहीं सोचते थे. किसने सोचा था कि एक रुपये में ना बिकने वाला पानी का बोतल आने वाले समय में भारत के हर नागरिक के मुंह पर बिसलेरी की छाप छोड़ेगा और 20 रुपये में बिकेगा.

भारत में बिसलेरी ने अपने दो प्रोडक्ट्स लॉन्च किए. एक था बिसलेरी का पानी और दूसरा बिसलेरी सोडा. स्टार्टिंग में जैसा होता है इसके साथ भी कुछ वैसा ही हुआ पहले पहल यह सिर्फ एलिट क्लास के लिए उपलब्ध था. लेकिन बिसलेरी के मालिक ने इसके मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए इसे आम यानी गरीब से लेकर अमीर तक के बीच पहुंचाने के लिए तरकीब लगाई और यह काम कर गया. शुरुआत में लोग बिसलेरी सोडा की तरफ खासा आकर्षित हो रहे थे. 

हालांकि चार साल बाद 1969 में बिसलेरी को पारले कंपनी के मालिक चौहान ब्रदर्स ने चार लाख रुपए में खरीद लिया. उस वक्त तक बिसलेरी के भारत में सिर्फ 5 स्टोर थे. लेकिन 1985 के बाद इसके मार्केट को बूम मिला. वजह थी जहां पहले शीशे के बोतल में बंद पानी मिल रहा था वहीं अब प्लास्टिक के बोतल में स्वच्छ पानी मिलने लगा था. जिससे यह कम लागत में तैयार होकर सस्ता और किफायती बिकने लगा. 135 प्लांट के दम पर दो करोड़ लीटर पानी रोज बिकने वाली बिसलेरी कंपनी ने देखते ही देखते पूरी दुनिया पर अपने ब्रांड का वर्चस्व बना दिया. 

अब जानते हैं कि आखिर जब इस कंपनी ने इतनी सफलता हासिल कर ली है तो अब टाटा ग्रुप (Tata Group) को क्यों बेची जा रही है. इसके पीछे वजह है बिसलेरी कंपनी के मालिक रमेश चौहान की बिगड़ती तबियत. दरअसल रमेश चौहान मौजूदा समय में 82 साल के हो गए हैं और इस कंपनी को आगे ले जाने के लिए उनके पास कोई उत्तराधिकारी नहीं है. ऐसे में बिसलेरी को आगे ले जाने के लिए एक रिपोर्ट के मुताबिक टाटा ग्रुप के 7 हजार करोड़ में इसका सौदा हुआ है. फिलहाल बिसलेरी कंपनी ने ऐसे किसी भी डील से इंकार किया है और उनका कहना है कि फिलहाल इसपर कंपनियों से बातचीत चल रही है.

यह भी पढ़ें:  Unemployment Rate: सितम्बर तिमाही में बेरोजगारी दर घटी, इतने लोगों को मिला रोजगार

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Bisleri history know everything about biggest packaged water company bisleri value tata group
Short Title
Bisleri: कैसे पानी बेचकर बनी 7000 करोड़ की कंपनी, पढ़ें A टू Z पूरा इतिहास
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Bisleri
Caption

Bisleri

Date updated
Date published
Home Title

Bisleri: कैसे पानी बेचकर बनी 7000 करोड़ की कंपनी, पढ़ें A टू Z पूरा इतिहास