पाकिस्तान के खास दोस्त यूएई और सऊदी अरब भी लगातार भारत से निकटता बढ़ा रहे हैं. सऊदी के साथ आर्थिक साझेदारी के बाद सैन्य क्षेत्र में भी साझेदारी होने जा रही है. हाल ही में सऊदी के आर्मी चीफ ने भारत का दौरा किया है. इस बीच भारत और यूएई के बीच 100 अरब का व्यापार समझौता हुआ है. पाकिस्तान अपना दोस्त मानने वाले मुस्लिम देशों की भारत से बढ़ती निकटता से परेशान है. इस्लामाबाद की राजनीति में इस वजह से इन दिनों भूचाल आया हुआ है.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अबु धाबी के शहजादा शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की ऑनलाइन शिखर वार्ता हुई थी. इस दौरान व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था. समझौते पर भारत की तरफ से गोयल और यूएई के अर्थव्यवस्था मामलों के मंत्री अब्दुल्ला बिन तौक अल मर्री ने हस्ताक्षर किए थे. दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता हुआ है. इससे अगले 5 सालों में 100 अरब डॉलर तक का व्यापार होगा. पहले दिन से ही भारतीय हित से जुड़े करीब 90 प्रतिशत उत्पादों के लिये यूएई को निर्यात का रास्ता खुल जाएगा.
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इस समझौते से कपड़ा, हथकरधा, रत्न और आभूषण, चमड़ा और जूता-चप्पल उद्योग जैसे क्षेत्रों में 10 लाख नौकरियों के अवसर बनेंगे. दवा क्षेत्र में भी इस समझौते से लाभ मिलेगा. संयुक्त अरब अमीरात ने सहमति व्यक्त की है कि यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा या ऑस्ट्रेलिया की ओर से रिकमंड की गई भारत में बने मेडिकल प्रॉडक्ट को आवेदन जमा करने के 90 दिनों के भीतर बाजार पहुंचने और कानूनी मंजूरी मिलेगी. यूएई भारतीय आभूषणों पर शुल्क समाप्त करने पर सहमत हो गया है, वहीं भारत 200 टन तक सोने के आयात पर शुल्क में छूट देगा.
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संयुक्त अरब अमीरात में बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिक काम करते हैं. इसके अलावा इस्लामिक देश होने की वजह से अब तक पाकिस्तान का स्वाभाविक झुकाव यूएई की ओर था. पिछले कुछ वर्षों में हालात बदले हैं और भारत और यूएई के बीच संबंध मजबूत हुए हैं. बड़े पैमाने पर भारतीय श्रमिक और कामगार अब दुबई में काम कर रहे हैं. ऐसे में पाकिस्तान में इस पर भूचाल आ गया है. पाकिस्तान की सरकार पर विपक्षी दल ही नहीं आम नागरिक भी बरस रहे हैं.
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यूएई और भारत के बीच हुए 100 अरब डॉलर के करार को लेकर पाकिस्तान के विपक्षी दल, राजनीतिक और आर्थिक विश्लेषक इमरान खान पर हमलावर हैं. सबका कहना है कि पिछले कुछ सालों में भारत में जिस तरह से मोदी सरकार ने विदेश नीति मजबूत बनाने पर काम किया है वैसी कोशिशें करने में इमरान खान फेल हैं. इसकी वजह से पाकिस्तान में निवेश और रोजगार के अवसर लगातार घट रहे हैं.
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यूएई अपनी वैश्विक छवि चमकाने के लिए कई बड़े फैसले ले रहा है. इनमें जुमे की छुट्टी को रद्द करना, एडल्ट फिल्मों पर पाबंदियों में ढील जैसे कई फैसले हैं. इस वक्त यूएई में भारत के 35 लाख लोग काम कर रहे हैं. यूएई भविष्य में इस संख्या को बढ़ाना चाहता है क्योंकि भारत से कुशल कामगार संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था को गति दे सकते हैं. साझा हितों को देखते हुए यूएई ने खास तौर पर भारतीय कामगारों को सुरक्षित माहौल और बेहतरीन अवसर देने का भरोसा दिया है.