28 दिसंबर, 2021 को टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata)अपना 84 वां जन्मदिन मना रहे हैं. रतन टाटा का नाम ना सिर्फ देश के सबसे सफल व्यवसायियों में शामिल है, बल्कि वह एक प्रेरक व्यक्तित्व के तौर पर भी जाने जाते हैं. उनके जीवन के आदर्श और विचार उन्हें कई बड़े उद्योगपतियों से अलग बनाते हैं. वह व्यापार भी जमकर करते हैं और उनके द्वारा की जाने वाली चैरिटी भी नए आयाम स्थापित करती है. आज उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिन्हें हमें जानना चाहिए-
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1937 में जन्में रतन टाटा ( Ratan Tata) टाटा समूह की नींव रखने वाले मशहूर उद्योगपति जमशेदजी टाटा के परपोते हैं. रतन टाटा के माता-पिता का सन् 1948 में ही तलाक हो गया था. उस वक्त रतन की उम्र सिर्फ 10 साल थी. उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवजबाई टाटा ने किया था. रतन टाटा ने कोर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई की. इसके बाद सन् 1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया.
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रतन टाटा की पहली जॉब सन् 1961 में टाटा स्टील की शॉप फ्लोर में ऑपरेशंस मैनेजर थी.1991 में वह Tata समूह के चेयरमैन बने और उन्होंने उसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. रतन टाटा के 21 साल के कार्यकाल में टाटा ग्रुप का रेवेन्यू 40 गुना बढ़ गया था और मुनाफा 50 गुना.
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रतन टाटा ने कई बड़े समूहों का अधिग्रहण भी किया. इसमें Tetley, Jaguar Land Rover, Corus जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इसके बाद टाटा एक ग्लोबल ब्रांड बनकर सामने आया.
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टाटा की NANO कार लाने का सपना भी रतन टाटा ने ही देखा था. एक लाख रुपये में हर घर तक कार पहुंचाने के अपने इस वादे को उन्होंने पूरा भी किया.
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रतन टाटा के नेतृत्व में ही टाटा समूह ने कोर्नेल यूनिवर्सिटी को 28 मिलियन डॉलर की स्कॉलरशिप उपलब्ध कराई, जिससे वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को मदद की जा सके. इंजीनियरिंग के क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्रों को बेहतर सुविधाएं देने के लिए टाटा समूह ने मुंबई स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को 950 मिलियन रुपये भी डोनेट किए. इसके बाद यहां टाटा सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन (TCTD) की स्थापना की गई.
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देश जब हर तरफ से कोरोना महामारी से जूझ रहा था तब भी रतन टाटा ने अपने आदर्शों और जीवन के उच्च विचारों का परिचय देते हुए मदद का हाथ बढ़ाया. उन्होंने ना सिर्फ अपने स्तर से हर संभव मदद की बल्कि कोरोना से लड़ने के लिए जरूरी सुविधाएं जुटाने में सरकार को 1500 करोड़ रुपये का योगदान भी दिया.
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कम ही लोग रतन टाटा के बारे में ये बात जानते हैं कि वह एक दक्ष पायलट हैं. सन् 2007 में वह F-16 Falcon उड़ाने वाले पहले भारतीय बने थे.
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रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की. उन्होंने खुद अपने इंटरव्यूज में जिक्र किया है कि जीवन में चार बार ऐसे मौके आए जब वह शादी करने वाले थे, लेकिन कई कारणों से ऐसा संभव नहीं हो पाया.