डीएनए हिंदी: आयकर विभाग द्वारा जारी किए गए विभिन्न आयकर रिटर्न (Income Tax Return) फॉर्मों में ITR-1 सबसे आसान फॉर्म है. कई बार, करदाताओं द्वारा सही ITR फॉर्म दाखिल करने की उनकी पात्रता को समझे बिना ITR-1 को एक मानक ITR फॉर्म के रूप में दाखिल किया जाता है. यह खासकर आयकर नियमों के संबंध में विभिन्न भ्रांतियों के कारण रहा होगा. स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) एक ऐसा नियम है जिसके बारे में एक आय करने वाले को अपना आईटीआर फॉर्म चुनते समय पता होना चाहिए.
सही आईटीआर फॉर्म चुनते समय टीडीएस नियम कैसे काम करता है, इस पर एक कर और निवेश विशेषज्ञ ने कहा, “अगर किसी करदाता ने 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा नकद निकासी की है तो ऐसी स्थिति में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 194N के तहत, एक करदाता फॉर्म -1 के माध्यम से आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएगा. हालांकि, अगर कमाने वाले ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में आईटीआर दाखिल नहीं किया है तो लागू टीडीएस सीमा 1 करोड़ रुपये के बजाय 20 लाख रुपये होगी.
SEBI registered tax and investment एक्सपर्ट ने कहा "यदि करदाता ने धारा 194N के तहत नकद निकासी की सीमा को पार कर लिया है तो उस स्थिति में बैंक इस धारा के तहत टीडीएस काटेगा." यह पूछे जाने पर कि धारा 194N के तहत TDS कटने पर करदाता किस ITR फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं? एक्सपर्ट ने कहा, "यदि TDS धारा 194N के तहत काटा जाता है, तो उस स्थिति में करदाताओं को ITR-1 के बजाय ITR-2 का उपयोग करना होगा."
वित्तीय वर्ष 2021-22 और आकलन वर्ष 2022-23 के लिए आईटीआर दाखिल करने की नियत तारीख 31 जुलाई 2022 है.
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ITR Filing: अगर आपका भी कटता है TDS तो जानिए कौन सा ITR फॉर्म भरना होगा सही