डीएनए हिंदी: देश में लगातार बढ़ रही महंगाई अब हमारे देश के लिए बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है. ऐसे में देश का हर नागरिक इस महंगाई की मार से छुटकारा चाहता है. लेकिन क्या आपको पता है महंगाई बढ़ने का मुख्य कारण भारतीय रुपये (INR) का कमजोर होना है और डॉलर की कीमतों में लगातार मजबूती आना है. अब अगर आपको यह लग रहा है कि डॉलर की कीमत में इजाफा होने से हमारे देश में महंगाई कैसे आ सकती है. इसको हम उदाहरण के तौर पर समझते हैं. भारत को दूसरे देशों से पेट्रोल और डीजल खरीदना पड़ता है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल की खरीदारी करने के लिए भारत को US Dollar में पेमेंट करना पड़ता है क्योंकि ज्यादातर देश क्रूड ऑयल की खरीदारी डॉलर में ही बेचते हैं. अब अगर डॉलर की कीमत में इजाफा होगा तो पेट्रोल-डीजल की कीमत में भी उछाल देखने को मिलेगा, जिससे अन्य सामान भी महंगे होंगे.

1966 में डॉलर की कीमत

क्या आपको पता है कभी डॉलर रुपये के मुकाबले कुछ ज्यादा नहीं थी. 15 अगस्त 1947 को 1 डॉलर की कीमत 4.16 भारतीय रुपये के मुकाबले थी. हालांकि आजादी से लेकर 1966 तक भारतीय रुपये की कीमत ब्रिटिश पाउंड के मुकाबले तय की जाती थी. मालूम हो कि आजादी के वक्त भारत ने ना तो किसी देश से कर्ज लिया था और ना ही किसी देश को कर्ज दिया था. लेकिन 1966 से भारत में 1 डॉलर की कीमत गिनी जाने लगी. यानी हमारे देश की करेंसी डॉलर के भाव पर आश्रित हो गई. 9 मई 1966 को प्रति डॉलर की कीमत भारतीय रुपये में 6.36 रुपये थी. वहीं 9 मई 2000 को प्रति डॉलर की कीमत 44.67 रुपये पर स्थिर थी. यानी कुछ ही सालों में डॉलर (Dollar) की कीमत में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. 

मुद्राओं की अहमियत

पुराने समय में विश्व के सभी देशों में व्यापार और चीजों को खरीदने बेचने के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली का ही इस्तेमाल होता था. आज के समय में हर एक देश की उसकी एक अपनी मुद्रा (currency) होती है जिसके जरिए उस देश के लोग अपने देश में कोई भी चीज या सुविधा खरीदते और बेचते हैं. हर देश की मुद्राओं की कीमत अलग अलग होती है. मतलब जब हम किसी दूसरे देश की मुद्रा का इस्तेमाल भारत में करते हैं तो भारतीय मुद्रा में उसको परिवर्तित करने पर उसकी कीमत अलग हो जाती है.

क्यों बढ़ती-घटती है मुद्रा की कीमत?

उदाहरण के लिए अगर हम 1 यूएस डॉलर को भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करें तो उसकी कीमत 77.82 रुपये होगी. यह कीमत समय के मुताबिक बढ़ती घटती रहती है. किसी भी देश की मुद्रा के मजबूत या कमजोर होने का कारण उस मुद्रा का उपयोग होता है. प्रत्येक देश के पास दूसरे देशों के मुद्राओं का भंडार होता है जिसका उपयोग लेन- देन के लिए होता है. इन्हीं मुद्रा भंडारों के घटने बढ़ने से मुद्रा की कीमत भी बढ़ती-घटती रहती है. 1947 से लेकर 2022 तक डॉलर की कीमत में 19 गुना का इजाफा हुआ है. मौजूदा समय में प्रति डॉलर की भारतीय मुद्रा में कीमत 77.82 रुपये है.

अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया के अधिकतर देशों द्वारा यूएस डॉलर का प्रयोग किए जाने और ज्यादातर देशों में स्वीकार किए जाने के कारण यूएस डॉलर को वैश्विक मुद्रा का स्थान प्राप्त है और इसी  मुद्रा भंडार के कम या अधिक होने पर भारतीय रुपए के मजबूत और कमजोर होने का अनुमान लगाया जाता है.

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Dollar Vs Rupee : 19 times increase in dollar since independence, how much has fallen in Indian currency
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Dollar Vs Rupee : आजादी से अब तक डॉलर में 19 गुना की तेजी
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रुपये में गिरावट
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Dollar Vs Rupee : आजादी के बाद से अब तक डॉलर में आ चुकी है 19 गुना की तेजी, Indian Currency की कीमत में कितनी गिरावट आई