डीएनए हिंदी: लांग टर्म के इंवेस्टमेंट का मूल उद्देश्य बच्चे की शादी, रिटायरमेंट के बाद की फाइनेंशियल जरूरतों आदि जैसे लांट टर्म टारगेट्स के लिए एक फंड तैयार करना है. हालांकि, अपने लांट टर्म इंवेस्टमेंट टारगेट को पूरा करने के लिए, इंवेस्टमेंट टेन्योर के दौरान महंगाई की वृद्धि को मात देने की जरूरत है. टैक्स और इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट के अनुसार, कोई व्यक्ति महंगाई की वार्षिक औसत दर 6 से 7 फीसदी मान सकता है और ऐसे इंवेस्टमेंट ऑप्शन चुन सकता है जो लांग टर्म में 7 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे सकें. एक्सपर्ट के अनुसार ऐसे इंवेस्टमेंट ऑप्शंस को लिस्ट में शामिल करना जरूरी है जो सिर्फ महंगाई को ही बीट ना करें बल्कि ज्यादा से रिटर्न भी दें. इसके लिए आपको सबसे पहले इक्विटी को इस लिस्ट में सबसे पहले रखना चाहिए. लांग टर्म में इक्विटी सिर्फ महंगाई को ही मात नहीं देती है, बल्कि आपको ज्यादा से ज्या फंड जमा करने में भी मदद करती है.
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के एमडी और सीईओ पंकज मठपाल ने एक मीडिया रिपोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि महंगाई को मात देने के लिए अन्य निवेश साधनों से पहले इक्विटी को क्यों चुनना चाहिए, इस पर कहा, 'एक लांग टर्म इंवेस्टर जिसके पास 10 साल से ज्यादा का समय है, उसे इक्विटी एक्सपोजर के लिए जाना चाहिए, चाहे वह डायरेक्ट स्टॉक हो या इक्विटी म्यूचुअल फंड. इक्विटी लंबी अवधि में कम से कम 12 से 15 फीसदी का रिटर्न दे सकती है. आइए आपको भी बताते हैं कि लांग टर्म में महंगाई को मात देने वाले कौन-कौन से इंवेस्टमेंट ऑप्शंस हो सकते हैं?
1] डायरेक्ट इक्विटी मार्केट : पंकज मठपाल के अनुसार महंगाई को मात देने के लिए, हाई रिस्क वाले निवेशक डायरेक्ट इक्विटी मार्केट निवेश में जा सकते हैं क्योंकि इससे लंबी अवधि में 12 से 15 प्रतिशत सीएजीआर प्राप्त होगा. डायरेक्ट इक्विटी मार्केट का चयन करते समय शेयर बाजार के बारे में अच्छी जानकारी और शेयरों के बारे में समझ होना काफी जरूरी है. इसके लिए वो सेबी से रजिस्टर्ड एक्सपर्ट की भी सलाह ले सकता है. शेयर बाजार निवेशक लंबी अवधि में शेयर बाजार में निवेश पर 12 से 15 प्रतिशत रिटर्न की उम्मीद कर सकता है.
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2] इक्विटी म्यूचुअल फंड: जितेंद्र सोलंकी मीडिया रिपोर्ट में बताते हैं कि जो रिस्क लेने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें शेयर बाजार में निवेश के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड मे जा सकते हैं क्योंकि फंड मैनेजर उनकी ओर से अपना पैसा संभालेंगे. वास्तव में, कुछ फंड मैनेजर आसानी से प्रमुख बेंचमार्क रिटर्न को हराकर अल्फा रिटर्न जेनरेट करते हैं. इसलिए, लंबी अवधि के निवेश लक्ष्य को यहां हासिल किया जा सकता है क्योंकि इक्विटी म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में कम से कम 12 फीसदी का रिटर्न देते हैं.
3] एनपीएस योजना: वे निवेशक जो सीमित जोखिम लेना चाहते हैं और महंगाई की वृद्धि को मात देना चाहते हैं, उन्हें नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) योजना के लिए जा सकते हैं. इस योजना में एक निवेशक के पास इक्विटी और डेट का मिक्स्ड रिस्क होता है जहां एक निवेशक इक्विटी एक्सपोजर 75 फीसदी तक चुन सकता है.
एनपीएस अकाउंट होल्डर्स को इक्विटी-डेट एक्सपोजर को 50:50 के अनुपात में रखने की सलाह देते हुए, मीडिया रिपोर्ट में ट्रांसेंड कैपिटल के डायरेक्टर कार्तिक झावेरी कहते हैं एनपीएस खाताधारकों को 50:50 रेश्यो में ऋण इक्विटी एक्सपोजर चुनने की सलाह दी जाती है. उस स्थिति में लंबी अवधि की इक्विटी एक्सपोजर से 12 फीसदी रिटर्न मिलेगा और डेट से 8 ईपीआर फीसदी रिटर्न मिलेगा. इसलिए, उनके एनपीएस निवेश से कुल शुद्ध रिटर्न लगभग 10 फीसदी (6 + 4) होगा, जो महंगाई को आसानी से हरा देगा. उन्होंने कहा कि यहां एनपीएस योजना में, एक वित्तीय वर्ष में भी 2 लाख रुपये तक के वार्षिक निवेश पर आयकर छूट का दावा किया जा सकेगा.
4] यूलिप: लंबी अवधि में, यूलिप (यूनिट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट प्लान) से बेहतर रिटर्न की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि यह एक निवेशक को 100 प्रतिशत इक्विटी एक्सपोजर चुनने की अनुमति देता है. इसलिए, महंगाई को मात देने के लिए, यूलिप को भी चुना जा सकता है. रिटर्न पर बोलते हुए किपंकज मथपाल मीडिया रिपोर्ट में कहते हैं कि एनपीएस की तरह, यूलिप भी डेट और इक्विटी दोनों का मिश्रण है. यहां एक निवेशक इक्विटी में 100 एक्सपोजर का विकल्प चुन सकता है. लेकिन एक स्ट्राइकिंग के लिए बैलेंस व्यक्ति इक्विटी में 50 से 60 प्रतिशत एक्सपोजर और बाकी डेट में चुन सकता है और लंबी अवधि में दोहरे अंकों में रिटर्न की उम्मीद कर सकता है.
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Mutual Fund से NPS तक लंबी अवधि में महंगाई को मात दे सकते हैं 4 इंवेस्टमेंट ऑप्शन