डीएनए हिंदी: ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप से प्राकृतिक गैस की मांग (Natural Gas Demand in Europe) में वृद्धि के कारण कीमतों में उछाल आया है, जिसने दुनिया के दूसरे हिस्सों में उभरती अर्थव्यवस्थाओं (Emerging Economies) को तबाह कर दिया है और यह तबाही वर्षों तक जारी रह सकती है. क्रेडिट सुइस एनर्जी एनालिस्ट शाऊल कावोनिक ने ब्लूमबर्ग को बताया कि यूरोप में ऊर्जा संकट (Europe energy crisis) उभरती दुनिया में ऊर्जा की कमी को बढ़ा रही हैं. यूरोप दूसरे देशों से दूर गैस चूस रहा है, चाहे जो भी कीमत हो. फैक्ट यह है कि यूरोपीय देश नेचुरल गैस (Natural Gas Price) के लिए प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं जबकि पाकिस्तान या बांग्लादेश जैसे गरीब देशों के पास इतना प्रीमियम वहन करने के लिए पैसे नहीं हैं. वैसे, पाकिस्तान पहले से ही अधिकांश दिन ब्लैकआउट झेल रहा है और एलएनजी की अत्यधिक कीमतों के कारण जल्द ही इसके बदलने की संभावना बहुत कम है.
उभरती अर्थव्यवस्थाएं कैसे करेंगी यूरोप का मुकाबला?
वुड मैकेंजी के विश्लेषक राघव माथुर ने ब्लूमबर्ग को बताया कि सप्लायर्स को अपने एलएनजी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर नहीं देख रहे हैं या फिर कम ध्यान दे रहे हैं. मौजूदा समय में हाजिर बाजार में तेजी बनी हुई है और प्रोड्यूसर्स अपने लांग टर्म कांट्रैक्ट के नियमों को तोड़ सकते हैं और जो देश ज्यादा पैसा देने को तैयार हैं उससे फाइन का भुगतान कर सकते हैं. खास बात ये है कि आने वाले दिनों में स्थिति बदलने की भी कोई संभावना नहीं दिख रही है. इसके विपरीत, यूरोप एलएनजी इंपोर्ट टर्मिनल्स का निर्माण कर रहा है, जिसका अर्थ है कि यूरोपीय संघ की मांग का मौजूदा लेवल लांग टर्म तक बढ़ सकता है.
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कमजोर देशों को झेलना पड़ सकता है लंबे समय तक
जिसका असर उभरती अर्थव्यवस्थाओं देखने को मिल सकता है और उनके ऊर्जा आपूर्ति की समस्याएं लंबे समय तक बढ़ सकती हैं और साथ ही उन्हें दुनिया की कुछ सबसे धनी अर्थव्यवस्थाओं के साथ एलएनजी की सीमित आपूर्ति के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. इस बीच रूस पाकिस्तान को एलएनजी की आपूर्ति करने पर बहुत खुश है. जैसा कि रूस में पाकिस्तानी राजदूत ने हाल ही में TASS समाचार एजेंसी को बताया कि अगर अमीर देश सभी LNG छीन लेते हैं, तो हमारा क्या होगा?
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कितनी हो गई हैं नेचुरल गैस की कीमतें
मौजूदा समय में इंटरनेशनल मार्केट में नेचुरल गैस की कीमत 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है. जिसकी वजह से दाम 6.50 डॉलर पर आ गए हैं. आईआईएफएल के वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता ने बताया कि हाल ही में ब्रिटेन के नए प्राइम मिनिस्टर की ओर बयान आया है कि वो सप्लाई को सही करने और कीमतों में स्टेबिलिटी लाने के लिए यूएस से बात करेंगे. वहीं यूएस की ओर से भी आश्वासन दिया गया है कि वो नेचुरल गैस की सप्लाई में इजाफा करेंगे. आने वाले दिनों में नेचुरल गैस की कीमत में और गिरावट देखने को मिल सकती है.
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क्यों यूरोप का एनर्जी क्राइसिस उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए बन गया है आपदा?