डीएनए हिंदी: खाद्य वस्तुओं और कच्चा तेल के महंगा होने से थोक कीमतों पर आधारित महंगाई (Wholesale Inflation) मई में बढ़कर 15.88 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई (Inflation) इस साल अप्रैल में 15.08 प्रतिशत और पिछले साल मई में 13.11 प्रतिशत थी. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मई, 2022 में महंगाई की उच्च दर मुख्य रूप से खनिज तेलों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, मूल धातुओं, गैर-खाद्य वस्तुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों तथा खाद्य उत्पादों आदि की कीमतों में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले हुई वृद्धि के कारण है.
दोहरे अंकों पर होलसेल महंगाई
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल से लगातार 14वें महीने दोहरे अंकों में बनी हुई है और तीन महीनों से लगातार बढ़ रही है. मई में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति 12.34 प्रतिशत थी. इस दौरान सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज वृद्धि हुई. सब्जियों के दाम 56.36 फीसदी, गेहूं में 10.55 फीसदी और अंडा, मांस तथा मछली की कीमत 7.78 फीसदी बढ़ी. ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 40.62 प्रतिशत थी, जबकि विनिर्मित उत्पादों और तिलहन में यह क्रमशः 10.11 प्रतिशत और 7.08 प्रतिशत रही. कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की मुद्रास्फीति मई में 79.50 प्रतिशत थी.
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रिटेल महंगाई में आई मामूली गिरावट
मई में रिटेल इंफ्लेशन में थोड़ी राहत देखने को मिली थी. मई में खुदरा महंगाई 7.04 फीसदी पर रही जो अप्रैल के महीने में आठ साल के हाई पर थी. ताज्जुब की बात तो ये है मौजूदा रिटेल महंगाई भी लगातार पांचवें महीने में रिजर्व बैंक के टॉलरेंस लेवल से ज्यादा देखने को मिली है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने अपनी प्रमुख ब्याज दर में मई में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की.
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थोक महंगाई ने निकाला आम लोगों का दम, 16 फीसदी के करीब WPI