डीएनए हिंदी: बीते तीन हफ्तों में देश ने दो मौकों पर विंडफॉल टैक्स (What is Windfall Tax) का नाम सुना. पहली बार जुलाई की शुरूआत में जब सरकार ने स्थानीय ऑयल कंपनियों के प्रोफिट पर लगाया. दूसरा आज यानी 20 जुलाई को जब सरकार ने इस टैक्स में कटौती की. वास्तव में सरकार ने करीब तीन हफ्ते पहले फ्यूल के एक्सपोर्ट को रोकने के लिए टैक्स में इजाफा किया था. इसका कारण था कि क्रूड ऑयल के दाम (Crude Oil Price) में काफी ज्यादा थे और लगातार सरकार पर रुपये के गिरने और कच्चे तल के इंपोर्ट बिल का दबाव बढ़ रहा था. अब जब कच्चे तेल की कीमत में गिरावट देखने को मिली है तो सरकार ने इस टैक्स को कम कर दिया है. वास्तव में यह टैक्स होता है और इससे सरकार और कंपनियों की कमाई पर क्या असर पड़ता है, आपको भी बताते हैं.
What is Windfall Tax?
विंडफॉल टैक्स सरकार द्वारा कंपनियों पर लगाया जाने वाला टैक्स है. यह टैक्स कंपनियों के अप्रत्याशित और गलत तरीके से कमाए गए प्रोफिट और कमाई पर लगाया जाता है. जुलाई की शुरूआत में सरकार ने ऑयल कंपनियों पर यह टैक्स इसलिए लगाया था क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई और डॉमेस्टिक ऑयल प्रोड्यूसर स्थानीय ऑयल रिफानरीज को इंटरनेशनल प्राइस के बराबर ही कच्चा तेल प्रोवाइड करा रहे थे. जिससे डॉमेस्टिक ऑयल प्रोड्यूसर्स को अप्रत्याशित रूप से प्रोफिट हो रहा था. आज यानी 20 जुलाई को कच्चे तेल की कीमत में गिरावट देखने को मिली है तो सरकार ने इस टैक्स को कम कर दिया है. ताकि कंपनियों को ज्यादा नुकसान ना हो.
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कंपनियों को कैसे प्रभावित करता है विंडफॉल टैक्स?
जब जुलाई को विंडफॉल टैक्स में इजाफा किया गया था तो कंपनियों को घरेलू कच्चे तेल पर 23,250 रुपये प्रति टन सेस हो गया था, जिससे उनके मार्जिन पर बड़ा असर देखने को मिला था. उस समय रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि विंडफॉल टैक्स तभी गिरेगा जब क्रूड मौजूदा स्तर से 40 डॉलर प्रति बैरल गिरेगा. तब से अब तक कच्चे तेल की कीमत में 15 से 20 डॉलर की गिरावट आ चुकी है. जिसके बाद सरकार ने विंडफॉल टैक्स में कटौती कर कंपनियों पर लगने वाले 23,250 रुपये प्रति टन सेस को 17,000 रुपये प्रति टन पर ला दिया है. जिसके बाद कंपनियों के मार्जिन में इजाफा हो गया है. अब कंपनियों की कमाई में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.
वित्त मंत्रालय के अनुसार इस सेस का घरेलू पेट्रोलियम उत्पादों/फ्यूल की कीमतों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है. साथ ही छोटे उत्पादक, जिनका पिछले वित्तीय वर्ष में कच्चे तेल का वार्षिक उत्पादन 2 मिलियन बैरल से कम है, इस उपकर से मुक्त होंगे. साथ ही, पिछले वर्ष की तुलना में अतिरिक्त उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए, कच्चे तेल की इतनी मात्रा पर कोई उपकर नहीं लगाया जाएगा, जो कच्चे उत्पादक द्वारा पिछले वर्ष के उत्पादन से अधिक का उत्पादन किया जाता है. यह उपाय कच्चे तेल की कीमतों या पेट्रोलियम उत्पादों और ईंधन की कीमतों को प्रभावित नहीं करेगा.
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सरकार की कमाई पर कितना असर?
जब जुलाई की शुरूआत सरकार ने इस टैक्स में इजाफा किया था तो ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन, ऑयल इंडिया लिमिटेड और वेदांत जैसे कच्चे तेल उत्पादकों पर टैक्स से सरकार को सालाना 69,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद जताई थी, जो कि 2021-22 के वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) में 29.7 मिलियन टन तेल उत्पादन पर विचार कर रहा है. यदि कर 31 मार्च, 2023 तक बना रहता तो चालू वित्त वर्ष के शेष नौ महीनों में सरकार को लगभग 52,000 करोड़ रुपये मिलते. उस वक्त सरकार सरकार ने कच्चे तेल पर अप्रत्याशित कर के अलावा पेट्रोल पर 6 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर के बराबर सेस भी लगाया था. जिसे आज हटा दिया गया है. आज जिस तरह से सरकार ने अपने टैक्स और सेस को कम किया है, उससे सरकार की कमाई पर काफी असर देखने को मिलेगा.
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What is Windfall Tax: सरकार और कंपनियों की कमाई पर कैसे पड़ता है असर?