डीएनए हिंदी: बाजार पर नजर रखने वालों को 6 अप्रैल का बेसब्री से इन्तजार है. बता दें कि 6 अप्रैल को आरबीआई (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा रेपो दर में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की उम्मीद है. यह रेपो दर 6.75 प्रतिशत तक जा सकता है. जो अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने में मदद कर सकता है. इससे पहले फरवरी में हुई बैठक में एमपीसी के ज्यादातर सदस्य कोर महंगाई को लेकर चिंतित थे. तब से, घरेलू सीपीआई मुद्रास्फीति (Domestic CPI Inflation) पिछले दो महीनों से 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. इसके अतिरिक्त, बेमौसम बारिश और अल नीनो के कारण होने वाले व्यवधानों के कारण खाद्य मुद्रास्फीति के लिए उल्टा जोखिम मौजूद है. दूसरी ओर, यूएस, यूरोप में बैंकिंग संकट और धीमी विकास संभावना पर भी एमपीसी के कुछ सदस्यों द्वारा दर वृद्धि पर रुख अपनाते हुए विचार किया जा सकता है. मार्च 2023 को समाप्त पिछले वित्तीय वर्ष में शीर्ष बैंक ने रेपो दर में संचयी 250 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है. वित्तीय वर्ष 2024 के पहले एमपीसी परिणाम के बारे में बाजार पर नजर रखने वालों का क्या कहना है:
इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के छोटे बैंकों में हालिया विफलताओं के लिए केंद्रीय बैंकों द्वारा तेजी से दरों में बढ़ोतरी एक प्रमुख चालक रही है. इस तरह, RBI को यह सुनिश्चित करते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की अपनी प्रतिबद्धता को संतुलित करना होगा कि भारत की वित्तीय प्रणाली असाधारण झटकों के संपर्क में नहीं है. फेड के मुद्रास्फीति पर अपने आक्रामक रुख पर फिर से विचार करने की अपेक्षा भी आरबीआई के लिए एक विचार होगा. एक और 25 आधार अंकों की दर में वृद्धि, रुख में बदलाव के साथ तटस्थ होना सबसे संभावित परिणाम की तरह दिखता है. बाजार लिक्विडिटी की स्थिति पर आरबीआई की स्थिति को भी देखेगा. अप्रैल-जून की अवधि के दौरान बैंकिंग प्रणाली की लिक्विडिटी की कमी बढ़ने की संभावना है.
जैसा कि यूएस फेड (US Fed), यूरोपियन सेंट्रल बैंक (European Central Bank) और बैंक ऑफ इंग्लैंड (Bank of England) जैसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों ने दरों में बढ़ोतरी जारी रखी है. ऐसे में उम्मीद कि जा सकती है कि एमपीसी इस सप्ताह 25 आधार अंकों या उससे कम की बढ़ोतरी करेगी. उपभोक्ता मूल्य और मुख्य मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है और यह चिंता का कारण है.
जनवरी (6.52 प्रतिशत) और फरवरी 2023 (6.44 प्रतिशत) के लिए खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक की 6 प्रतिशत सहिष्णुता सीमा से अधिक रहने के साथ, आरबीआई 6 अप्रैल को एमपीसी परिणाम में दरों में 25 बीपीएस की मामूली बढ़ोतरी पर विचार कर सकता है. वित्त वर्ष 2024 की बाद की तिमाहियों में दर वृद्धि 7 प्रतिशत की अधिकतम रेपो दर पर पहुंच सकती है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि CPI कितनी जल्दी 6 प्रतिशत से नीचे आता है.
लगातार बढ़ रही मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के अपने निरंतर प्रयास में, आरबीआई द्वारा 6 अप्रैल, 2023 को 2023-24 के लिए अपनी आगामी पहली मौद्रिक नीति में प्रमुख ब्याज दरों को फिर से 25 बीपीएस बढ़ाने की उम्मीद है. यह रेपो दर को 6.75 प्रतिशत तक ले जाएगा. यह मार्च 2016 से लेकर यानी पिछले 7 वर्षों में उच्चतम दर होगी.
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