Corruption In India: ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल्स ने रविवार को एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें सामने आया कि भारत के 159 जिलों में सर्वेक्षण किए गए लगभग 66 प्रतिशत व्यापारिक कंपनियों ने सरकारी सेवाओं का लाभ लेने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है. कंपनियों ने दावा किया कि उन्होंने आपूर्तिकर्ता योग्यता, कोटेशन और ऑर्डर प्राप्त करने तथा भुगतान के लिए पिछले 12 महीनों में 66 प्रतिशत सरकारी संस्थाओं को रिश्वत दी है.
इन विभागों को दी गई सबसे अधिक रिश्वत
PTI की रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्वेक्षण 22 मई से 30 नवंबर के बीच किया गया. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुल रिश्वत का 75 प्रतिशत लीगल, मेट्रोलॉजी, फूड, ड्रग, हेल्थ आदि सरकारी विभागों के अधिकारियों को दी गई. रिपोर्ट में कहा गया है, 'कई लोगों ने जीएसटी अधिकारियों, प्रदूषण विभाग, नगर निगम और बिजली विभाग को रिश्वत देने की भी सूचना दी है.'
इन वजहों से देनी पड़ती है रिश्वत
सर्वेक्षण में 18,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 54 प्रतिशत ने दावा किया कि उन्हें रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत ने काम में तेजी लाने के लिए स्वेच्छा से भुगतान किया. रिपोर्ट में कहा गया है, ' कई कंपनियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकारी विभागों से परमिट या अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत देना काम जल्दी कराने का एक तरीका बना गया है. यहां तक कि प्राधिकरण लाइसेंस की डुप्लिकेट प्रतियां या संपत्ति के मामलों से संबंधित कुछ भी प्राप्त करने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है. सर्वेक्षण में शामिल 66 प्रतिशत कंपनियों ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है.' सिर्फ 16 प्रतिशत ने दावा किया कि उनका काम रिश्वत दिए बिना हो गया और 19 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें ऐसा करने की 'ज़रूरत नहीं पड़ी.'
'रिश्वत देना मजबूरी'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'पिछले 12 महीनों में जिन व्यवसायों ने रिश्वत दी, उनमें से 54 प्रतिशत को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत ने समय पर प्रक्रिया के लिए भुगतान किया. इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के बराबर है, जहां सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय परमिट, आपूर्तिकर्ता योग्यता, फाइलें, ऑर्डर और भुगतान नियमित रूप से रोके जाते हैं.'
यह भी पढ़ें - 'अघाड़ी भ्रष्टाचार में सबसे बड़ी खिलाड़ी...', महाराष्ट्र में MVA गठबंधन पर पीएम मोदी का अटैक
कहां अटक गईं भ्रष्टाचार विरोधी सरकारी पहलें?
रिपोर्ट में कहा गया है कि सीसीटीवी कैमरों के डिजिटलीकरण से सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है. इसमें दावा किया गया है कि सीसीटीवी से दूर, बंद दरवाजों के पीछे रिश्वत दी जाती है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि सरकारी ई-प्रोक्योरमेंट मार्केटप्लेस (Government eProcurement marketplace) जैसी पहल भ्रष्टाचार को कम करने के लिए अच्छे कदम हैं, लेकिन आपूर्तिकर्ता योग्यता, बिड मैन्यूपुलेशन, प्रमाण पत्र और भुगतान के लिए भ्रष्टाचार में लिप्त होने के लिए अभी भी रास्ते खुले हैं.' सर्वेक्षण में बढ़ते भ्रष्टाचार की तस्वीर पेश की गई है, लेकिन सर्वेक्षण में शामिल कंपनियों ने दावा किया है कि पिछले 12 महीनों में रिश्वत के लेन-देन की संख्या और दी गई रिश्वत का कुल मूल्य कम हो गया है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
भारत में इन सरकारी विभागों में ली जाती है सबसे ज्यादा रिश्वत, पिछले 12 महीने में 66% कंपनियों ने दी घूस, रिपोर्ट का दावा