Zakir Hussain: भारत के महान तबला वादक और 'वाह ताज' के जादूगर, उस्ताद जाकिर हुसैन का आज निधन हो गया. सोमवार सुबह सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. 73 वर्षीय जाकिर हुसैन की मृत्यु की खबर से संगीत और कला प्रेमियों के बीच शोक की लहर है. उनकी असाधारण प्रतिभा और अनूठी शैली ने न केवल संगीत बल्कि विज्ञापन की दुनिया में भी अमिट छाप छोड़ी.
'वाह ताज' का जन्म और ताजमहल चाय की सफलता
1966 में कोलकाता से शुरू हुए ब्रुक बॉन्ड ताजमहल चाय ब्रांड को घर-घर तक पहुंचाने का श्रेय जाकिर हुसैन को जाता है. शुरुआत में यह ब्रांड ‘आह ताज’ टैगलाइन पर केंद्रित था, लेकिन इसका जुड़ाव भारतीय संस्कृति से कमजोर था. जब हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL) ने इसे फिर से ब्रांडिंग करने का फैसला लिया, तो जाकिर हुसैन को इसके चेहरे के रूप में चुना गया. उनकी कला, व्यक्तित्व, और आधुनिकता का संगम ताजमहल चाय के तीन अहम पहलुओं रंग, खुशबू, और स्वाद के लिए बिल्कुल उपयुक्त था.
#ZakirHussain, one of the world’s most transcendent musicians, has passed away at the age of 73 - confirms Jon Bleicher of Prospect PR, representing the family. pic.twitter.com/Hkrm5xkrqK
— ANI (@ANI) December 16, 2024
आगरा में शूट हुआ ऐतिहासिक विज्ञापन
ताजमहल चाय का पहला ऐतिहासिक विज्ञापन आगरा के विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के सामने शूट किया गया. जाकिर हुसैन अपने तबले की थाप पर चाय का आनंद लेते नजर आते हैं. जब उनकी कला की प्रशंसा में कहा जाता है, वाह, उस्ताद वाह!' तो वे मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं, 'अरे हुजूर, वाह ताज बोलिए.' यह वाक्य भारतीय चाय प्रेमियों के बीच ऐसा लोकप्रिय हुआ कि ताजमहल चाय की पहचान बन गया.
First time I saw #ZakirHussain on TV was in this iconic 'Wah Taj' ad in the 90s. Especially during the cricket matches on DD National.
— Make India Proud 🇮🇳 (@ankushmahajann) December 15, 2024
Such a legendary icon we have lost today #Zakir_Hussain
Who else remembers this ad ‘Wah Taj’? pic.twitter.com/SpR3pl3xfv
जाकिर हुसैन का तबला और भारतीय बाजार में क्रांति
इस विज्ञापन ने ताजमहल चाय को प्रीमियम ब्रांड के रूप में स्थापित कर दिया. जाकिर हुसैन की तबले की थाप और उनकी परफेक्शन ने इस ब्रांड को ऐसा ऊंचा मुकाम दिलाया, जो आज भी याद किया जाता है. यह ऐड सिर्फ चाय का प्रचार नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव था जिसने भारतीय बाजार में क्लासिकल म्यूजिक को मुख्यधारा में लाने में मदद की.
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एक महान कलाकार को श्रद्धांजलि
जाकिर हुसैन ने तबला वादन को जिस ऊंचाई तक पहुंचाया, वह शदियों में ही देखने को मिलता है. उनके जाने से संगीत और कला की दुनिया में एक गहरी खाई आ गई है. हालांकि, उनका कला के क्षेत्र में उनका योगदान हमेशा जिंदा रहेगा. ताजमहल चाय और ‘वाह ताज’ का उनका जादू आने वाली पीढ़ियों को उनकी कला की याद दिलाता रहेगा. उनके निधन से कला, संगीत, और मार्केटिंग की दुनिया ने एक अनमोल रत्न खो दिया है.
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Zakir Hussain: तबले की थाप और ‘वाह ताज’ का जादू! जब उस्ताद जाकिर हुसैन ने बदल दिया था मार्केटिंग का इतिहास