भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम का ऐलान हो चुका है. लेकिन दोनों पड़ोसियों के बीच तनातनी अब भी जारी है. दोनों देशों को अलग और आज़ाद हुए 78 साल पूरे होने जा रहे हैं. इन सालों में भारत जहां पूरी दुनिया में एक सॉफ्ट पावर बनकर उभरा, भारत दुनिया की टॉप 5 इकोनॉमीज़ में से एक है. जबकि पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद के गढ़ के रूप बन चुकी है.
क्या आपको पता है, बंटवारे के बाद पाकिस्तान अपने पैर पर खड़ा हो सके, ये सुनिश्चित करने के लिए भारत ने एक साल तक पाकिस्तान को उसके नोट छापकर दिए थे. दरअसल, बंटवारे के बाद पाकिस्तान अलग देश तो बन गया, पर उसके पास कोई सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम नहीं था.
तब एक साल तक भारत के केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने दोनों देशों के केंद्रीय बैंक के तौर पर काम किया. सितंबर, 1948 तक पाकिस्तान में भारतीय रुपया ही चलता था. उसके साथ ही मार्च 1948 से RBI ने पाकिस्तानी करेंसी छापी. बाद में जब स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान बना, तब RBI ने पाकिस्तान से जुड़े बैंकिंग के काम उस बैंक को ट्रांसफर कर दिए.
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RBI के दस्तावेजों में इस व्यवस्था का जिक्र मिलता है. एक डॉक्यूमेंट में लिखा है, 'आपसी सहमति से जो व्यवस्था तय की गई थी, उसके मुताबिक RBI को पाकिस्तान की करेंसी अथॉरिटी और पाकिस्तान के प्रांतीय और केंद्रीय सरकारों के लिए बैंकर बनाया गया था. ये व्यवस्था सितंबर 1948 तक के लिए थी. RBI को मार्च 1948 तक पाकिस्तान के एक्सचेंज कंट्रोल और पब्लिक डेट को मैनेज करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी.'
कैसा था पाकिस्तान का पहला नोट
पाकिस्तान के शुरुआती नोट असल में भारतीय रुपये ही थे. जिनमें नोट के सफेद हिस्से में अंग्रेज़ी में- Government of Pakistan और उर्दू में- हुकूमत-ए-पाकिस्तान लिखा होता था. इस नोट पर ब्रिटेन के किंग जॉर्ज VI की फोटो छपी होती थी. पाकिस्तान के शुरुआती नोटों में RBI के पहले गवर्नर सीडी देशमुख के साइन हैं.
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यकीन नहीं होगा! बंटवारे के बाद पूरे एक साल तक भारत ने छापे पाकिस्तान के नोट, जानिए पूरी कहानी