डीएनए हिंदी: एक निजी कार्यक्रम में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने जबरन कर्ज वसूली के मामले में बैंकों और उनके एजेंट्स को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि कर्ज वसूली एजेंटों द्वारा वक्त-बेवक्त फोन करना, खराब भाषा में बात करना सहित अन्य कठोर तरीकों का इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है और आरबीआई (RBI) इस तरह की घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान दे रही है ताकि इन पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सके.
नियमित संस्थान भी कर रहे हैं ऐसा
उन्होंने कहा कि इस तरह की ज्यादातर घटनाएं अनियमित प्रतिष्ठानों से जुड़ी होती हैं हालांकि केंद्रीय बैंक को पता चला है कि उसके द्वारा नियमित संस्थान भी ऐसा करते हैं. उन्होंने क्षेत्र के सभी संस्थानों से इस मुद्दे पर विशेष ध्यान देने को कहा. आरबीआई गवर्नर की ये टिप्पणियां इस मायने में महत्वपूर्ण हैं कि हाल में ऐसी खबरें आईं और आरोप लगे कि कई कर्जदारों ने एजेंटों के कठोर तौर-तरीकों के कारण आत्महत्या कर ली. उन्होंने कहा कि आरबीआई डिजिटल कर्ज प्रदान करने पर जल्द ही एक विमर्श पत्र लेकर आएगा.
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टेक कंपनियों का फाइनेंशियल सेक्टर में उतरना रिस्की
शक्तिकांत दास ने कहा किृ बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के वित्तीय कारोबार में उतरने से कर्जदार के स्तर पर अत्यधिक कर्ज लेने और उसे न चुका पाने जैसी प्रणालीगत चिंताएं पैदा हो सकती हैं. गूगल, अमेजन और फेसबुक (मेटा) जैसी बड़ी टेक कंपनियों के वित्तीय कारोबार में आने से प्रतिस्पर्धा और डेटा निजता को लेकर सवाल खड़े हो जाएंगे. दास ने कहा कि उनके (बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां) साथ जोखिम जुड़े हैं, जिसका उचित तरीके से आकलन करना और जिससे निपटना जरूरी है.
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कई कंपनियां ऑफर कर रही है लोन
उन्होंने कहा कि इस तरह की कंपनियों में शामिल हैं ई-कॉमर्स कंपनियां, सर्च इंजन और सोशल मीडिया मंच जिन्होंने अपने स्तर पर या साझेदारी के जरिए ''बड़े स्तर पर'' वित्तीय सेवाओं की पेशकश करना शुरू कर दिया है और इस तरह कर्ज आकलन के नए तौर-तरीकों का इस्तेमाल होने लगा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कर्ज आकलन में नए तौर-तरीकों का इस तरह से बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने से अत्यधिक कर्ज, अपर्याप्त कर्ज आकलन और कुछ इसी प्रकार के जोखिमों की प्रणालीगत चिंता पैदा हो सकती है.
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जबरन कर्ज वसूली के मामलों पर क्या बोले RBI Governor