डिजिटल युग में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन लेनदेन और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश ने टैक्स चोरी की संभावनाओं को बढ़ा दिया है. इसे रोकने के लिए भारत सरकार ने प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 में कई कड़े प्रावधान शामिल किए हैं. इस नए कानून के तहत, आयकर विभाग अब करदाताओं के डिजिटल डेटा तक पहुंच बनाएगा, जिसमें ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट्स और क्रिप्टो वॉलेट्स शामिल होंगे. अधिकारियों को संदेह होने पर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के एक्सेस कोड को ओवरराइड करने का अधिकार दिया जाएगा. यह कदम टैक्स चोरी रोकने के साथ-साथ डिजिटल अर्थव्यवस्था को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है.
डिजिटल स्पेस पर बढ़ेगी निगरानी
विधेयक में अधिकारियों को सोशल मीडिया, ईमेल और एन्क्रिप्टेड चैट्स की जांच करने का अधिकार दिया गया है. यदि किसी व्यक्ति पर टैक्स चोरी का संदेह होता है, तो अधिकारी डिजिटल डेटा हासिल करने के लिए एक्सेस कोड को ओवरराइड कर सकते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त शिकंजा
क्रिप्टोकरेंसी में बढ़ते निवेश पर नजर रखने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं. फिलहाल क्रिप्टो लेनदेन पर 30% टैक्स और 1% TDS लागू है. लेकिन नए विधेयक के तहत अधिकारी क्रिप्टो वॉलेट्स, एक्सचेंज और एन्क्रिप्टेड चैट्स की जांच कर सकेंगे. इनकम टैक्स बिल के खंड 247 के तहत, अधिकारी को अगर यकीन है कि कोई व्यक्ति अघोषित संपत्ति या आय छुपा रहा है, तो वह किसी भी दरवाजे, तिजोरी, लॉकर या कंप्यूटर सिस्टम को तोड़कर या वर्चुअल डिजिटल स्पेस के एक्सेस कोड को ओवरराइड कर तलाशी कर सकता है. इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 132 भी ऐसी तलाशी और जब्ती की अनुमति देता है, लेकिन इसके लिए अधिकारियों के पास पुख्ता जानकारी होना जरूरी है.
कानूनी प्रक्रिया और अधिकार
संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारियों को डिजिटल डेटा तक पहुंचने का अधिकार दिया गया है. वर्तमान कानूनों के तहत, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स की जांच की अनुमति पहले से है, लेकिन नए विधेयक में इस अधिकार को और व्यापक बनाया गया है.
निजता बनाम निगरानी
इस प्रस्ताव ने निजता के अधिकार को लेकर बहस छेड़ दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रावधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है. हालांकि, सरकार का कहना है कि यह केवल संदिग्ध मामलों में ही लागू होगा और चयन समिति की समीक्षा के बाद ही कार्रवाई की जाएगी.
असर और भविष्य की दिशा
यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो अप्रैल 2026 से लागू होगा. इससे टैक्स चोरी पर लगाम लगेगी और डिजिटल अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता आएगी. सरकार का दावा है कि इससे टैक्स प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा.
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