डीएनए हिंदी: एशिया के सबसे अमीर अरबपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) का शॉपिंग वेन्यू अमेरिका न्यूयॉर्क शहर बन गया है. अब उन्होंने 90 साल पुरानी कंपनी खरीदने का मन बना लिया है, जिसने हाल ही में बैंकरप्सी का आवेदन किया था. यह कंपनी है रेवलॉन (Revlon). यह वही कंपनी है जिसने लिपिस्टिक बनाने से शुरूआत की और धीरे-धीरे दुनिया की बड़ी कॉमेस्टिक कंपनियों में से एक बन गई, लेकिन कोविड के दौरान सप्लाई चेन बाधित होने के बाद कंपनी की हाल खस्ता हो गई और कर्ज में डूब गई. कंपनी पर मार्च मिड तक 3.31 अरब डॉलर का कर्ज था.
रेवलॉन खरीद सकते हैं अंबानी
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के अनुसार रेवलॉन को रिलायंस (Reliance Industries) खरीदने के लिए आगे आ सकती है. रिलायंस के बुके में अभी तक ब्यूटी और पर्सनल केयर सेक्टर नहीं है. ऐसे मे रिलायंस रेवलॉन पर दांव खेलकर अपने स्टोर में कॉमेस्टिक की कमी को पूरा करने के बारे में विचार कर रही है. मौजूदा समय में रेवलॉन काफी बड़ा कर्ज है और कंपनी ने बैंकरप्सी का आवेदन किया हुआ है. जिसके तहत कंपनी अपना काम चालू रखने के साथ कर्ज चुकाने की योजना भी बना सकती है. जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में मेकअप प्रोडक्ट्स डिमांड में इजाफा देखने को मिला है, लेकिन रेवलॉन को दूसरी कंपनियों से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
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150 से ज्यादा देशों में बिकते हैं रेवलॉन के प्रोडक्ट्स
न्यूयॉर्क बेस्ड कंपनी का मालिकाना हक कारोबारी रॉन पर्लमैन की कंपनी मैक्एंड्रीयूज और फोब्र्स के पास है. रेवलॉन के 15 ब्रांड हैं, जो 150 से ज्यादा देशों में बेचे जाते हैं. रेवलॉन की शुरुआत एक नेल पॉलिश बनाने से हुई थी. इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा. पांच नवंबर 1985 को रेवलॉन कंपनी 58 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से कुल 2.7 अरब डॉलर में पैंट्री प्राइड कंपनी को बेच दी गई.
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टाटा ग्रुप भी कर रहा है कॉस्मेटिक्स में वापसी
जब से देश में नायका की सफलता देखने को मिली है, तब से बड़े कारोबारी कॉस्मैटिक इंडस्ट्री की ओर आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार टाटा ग्रुप भी इस सेक्टर में वापसी करने की तैयारी कर रहा है. टाटा ने इस बिजनेस 23 साल हाथ खींच लिए थे. देश में कॉस्मेटिक्स का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और साल 2025 तक इसके 20 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. लैक्मे ब्रांड पहलै टाटा का ही था, 1998 में टाटा ने इसे यूनिलीवर पीएलसी की लोकल यूनिट को बेच दिया था.
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