डीएनए हिंदी: 29 वर्षीय दादासाहेब भगत (Dadashaheb Bhagat) ना सिर्फ एक अच्छे पिता बल्कि बेहतर उद्यमी भी हैं. बता दें कि वह महाराष्ट्र के बीड के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं. वैसे बीड तो चीनी मीलों के लिए काफी फेमस है लेकिन इस वक्त यह शहर किसी और वजह से सुर्खियों में बना हुआ है.
दादासाहेब भगत की कहानी काफी इंस्पायरिंग है. भगत 10 साल पहले दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस (Infosys) में ऑफिस बॉय के तौर पर नौकरी करते थे. लेकिन उनकी सीखने और कुछ करने की इच्छा ने आज उन्हें एक सफल कंपनी का सीईओ बना दिया है.
भगत सिंह ने इंफोसिस से ऐसे की थी शुरुआत
दादासाहेब भगत ने हाई स्कूल की पढ़ाई करने के बाद आईटीआई डिप्लोमा कोर्स करने के बाद किसी इंडस्ट्रियल वर्क को करने की जगह 9 हजार रुपये प्रति माह की सैलरी पर इंफोसिस गेस्ट हाउस में रूम सर्विस बॉय के तौर पर काम करने लगे.
एनीमेशन कोर्स से लेकर पहली नौकरी तक
भगत कॉर्पोरेट नौकरी को देखकर जहां पूरी तरह खुश थे वहीं उसे पाने के लिए उन्हें फिर से कॉलेज जाकर पढ़ाई करनी पड़ती. इन सबके अलावा वह दूसरे रास्ते जैसे की एनीमेशन या डिजाईन जैसे कोर्सेज की तलाश में थे.
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दादासाहेब भगत दिन में नौकरी करते थे और रात में एनीमेशन की पढ़ाई करते थे. इस कोर्स को पूरा करने के बाद भगत को मुंबई में एक नौकरी मिली. वहां कुछ समय तक नौकरी करने के बाद भगत ने हैदराबाद का रुख किया. जहां उन्होंने नौकरी के साथ-साथ C++ और Python सीखा.
दादासाहेब भगत ने बिजनेस की शुरुआत कैसे की?
दादासाहेब भगत ने अपनी स्किल का बेहतर इस्तेमाल करते हुए डिज़ाइन और ग्राफ़िक्स कंपनी के साथ काम करते हुए यह पाया कि दुबारा इस्तेमाल होने वाले और टेम्पलेट्स की लाइब्रेरी पर काम करना बहुत अच्छा होगा. उन्होंने उन डिज़ाइन टेम्पलेट्स को ऑनलाइन बेचना शुरू किया और यहीं से उनका बिजनेस का दौर शुरू हुआ.
इस दौरान उनके साथ एक सड़क दुर्घटना घटी. लेकिन कहते हैं ना आपदा में ही अवसर छिपा होता है यही हुआ भगत के साथ भी. भगत ने बिस्तर पर रहकर ही डिज़ाइन लाइब्रेरी के विस्तार पर पूरी तरह काम करना शुरू कर दिया. 2015 में उनकी पहली कंपनी Ninthmotion अस्तित्व में आई. कुछ ही वर्षों में भगत ने भर में लगभग 6,000 ग्राहकों को सेवा प्रदान की, जिनमें बीबीसी स्टूडियो और 9XM संगीत चैनल जैसे प्रमुख नाम शामिल थे.
"प्रेरणा के लिए इधर उधर देखने की क्या ज़रूरत है। गांधी से बड़ी प्रेरणा और क्या हो सकती है।"#PositiveMornings pic.twitter.com/NHAH1iAbP0
— Mann Ki Baat Updates मन की बात अपडेट्स (@mannkibaat) September 26, 2020
डूग्राफिक्स का जन्म - भारत का अपना 'कैनवा'
महीनों के अनुसंधान एवं विकास के बाद, भगत ने ऑनलाइन ग्राफिक डिजाइनिंग के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित करने का फैसला किया - कैनवा जैसा कुछ. इससे भगत की दूसरी कंपनी डूग्राफिक्स (DooGraphics) का जन्म हुआ. प्लेटफॉर्म यूजर्स को आसान ड्रैग और ड्रॉप इंटरफ़ेस के साथ टेम्पलेट और डिज़ाइन बनाने की अनुमति देता है.
बता दें कि पीएम मोदी ने भी 'आत्मनिर्भर भारत' में भगत के इस स्टार्टअप की काफी सराहना की थी.
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Success Story: ऑफिस बॉय से लेकर सीईओ बनने तक की कहानी, कौन हैं दादासाहेब भगत?