डीएनए हिंदी: अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़े उम्मीद से अधिक ठंडे रहने के बाद डॉलर में गिरावट के कारण भारतीय रुपया में आज इजाफा देखने को मिला. जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि फेडरल रिजर्व अपने कठोर मौद्रिक नीति रुख पर आगे ना बढ़ने पर विचार कर सकता है. रुपया 81.80 के अपने पिछले बंद की तुलना में दो महीने के अपर लेवल 80.80 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. रॉयटर्स के अनुसार, दिसंबर 2018 के बाद से यह रुपये में सबसे बड़ी तेजी है.
डॉलर में 7 साल के बाद सबसे बड़ी गिरावट
वहीं दूसरी ओर दिसंबर 2015 के बाद पहली बार डॉलर को सबसे खराब ट्रेडिंग सेशन से गुजरना पड़ा. डॉलर इंडेक्स रातों रात 2.1 फीसदी गिर गया. जिसकी वजह थी अमेरिकी उपभोक्ता महंगाई के आंकड़ें जो अक्टूबर में उम्मीद से कम बढ़कर आठ महीनों में पहली बार 8 फीसदी के नीचे आ गए. आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप में ट्रेडिंग के प्रमुख नवीन सिंह ने कहा, "अगर डाटा उनके पक्ष में आता रहा तो हम फेड द्वारा डॉट प्लॉट में कुछ बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं, लेकिन वे कुछ समय के लिए दरों में बढ़ोतरी करेंगे." जानकारों की मानें तो इन महंगाई के आंकड़ों देखकर लगता है कि अगले महीने फेड अपनी पॉलिसी दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की जगह 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर सकता है. जिसकी संभावना 85 फीसदी तक बढ़ गई है.
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दुनियाभर की करेंसी में तेजी
बेंचमार्क यूएस ट्रेजरी सीड 32 बीपीएस घटकर 3.8290 फीसदी हो गई, जिसमें भारतीय यील्ड 10 बीपीएस घटकर 7.2432 फीसदी हो गई. अधिकांश एशियाई मुद्राएं बढ़ीं, दक्षिण कोरियाई करेंसी में 3 फीसदी से अज्यादा का इजाफा देखने को मिला. जानकारों के अनुसार इस साल डॉलर की मजबूती की वजह से दुनियाभर की करेंसी को ठंडा कर दिया था. अब इसमें कुछ स्थिरता की उम्मीद जा सकती है. आने वाले दिनों में अमेरिका के आंकड़ें ठंडे रहने के आसार दिखाई दे रहे हैं.
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यूएस में महंगाई हुई कम, रुपया में डॉलर के मुकाबले 4 साल की सबसे बड़ी तेजी