डीएनए हिंदी: भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था (Indian Space Economy) 2025 तक बढ़कर लगभग 13 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है. सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, उपग्रह प्रक्षेपण सेवा खंड (Satellite Launch Service Segment) में सबसे तेज वृद्धि होगी और इसमें निजी भागीदारी भी बढ़ेगी. आइए आपको भी इस रिपोर्ट में और किस तरह की जानकारी दी गई है.
12.8 अरब डॉलर की इकोनॉमी होने के आसार
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) और अर्न्स्ट एंड यंग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे उपग्रहों की बढ़ती मांग के कारण देश में उपग्रह विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनियों को शामिल करने से इस क्षेत्र में वैश्विक स्टार्टअप को आकर्षित करने में मदद मिलेगी. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2020 में 9.6 अरब डॉलर थी और इसके 2025 तक 12.8 अरब डॉलर होने की उम्मीद है.
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कौन सा सेग्मेंट कितने का हो सकता है
रिपोर्ट का शीर्षक ‘भारत में अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का विकास: समावेशी वृद्धि पर ध्यान’ है. रिपोर्ट में कहा गया कि उपग्रह सेवाएं एवं अनुप्रयोग खंड का आकार 2025 तक बढ़कर 4.6 अरब डॉलर हो जाएगा. यह खंड सबसे बड़ा होगा. इसके बाद चार अरब डॉलर के साथ स्थल खंड का स्थान होगा. उपग्रहण विनिर्माण खंड 3.2 अरब डॉलर और प्रक्षेपण खंड एक अरब डॉलर का होगा.
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इंडियन स्पेस लॉन्च एक अरब डॉलर का होने की उम्मीद
रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र में निजी कंपनियों को शामिल करने की दिशा में सरकार के सकारात्मक कदम से इंडियन स्पेस लॉन्च को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.’’ रिपोर्ट के मुताबिक, प्रक्षेपण सेवा खंड का आकार 2020 में 60 करोड़ डॉलर था और 2025 तक इसके एक अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
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साल 2025 तक 12.8 अरब डॉलर की होगी भारत की स्पेस इकोनॉमी