डीएनए हिंदी: साल 2020 के जून महीने में भारत सरकार ने चीन के दर्जनों मोबाइल ऐप्लिकेशन बैन कर दिए थे. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'आत्मनिर्भर भारत' का नारा दिया था. इस नारे का मतलब था कि हमें दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम करनी है और स्वदेशी उत्पादों पर ध्यान देना है. अब चीन और भारत के बीच आयात-निर्यात के ताज़ा आंकड़े देखकर ऐसा लगता है कि कुछ क्षेत्रों में भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. साल 2020-21 में भारत के आयात का कुल 16.5 प्रतिशत हिस्सेदारी चीन की थी. एक साल में यह हिस्सेदारी घटी है और अब यह 15.4 प्रतिशत पर आ गई है.
आंकड़ों के मुताबिक, चीन से भारत में जिन सामानों का आयात होता है उसमें सबस ज्यादा मात्रा टेलीकम्यूनिकेशन और एनर्जी सेक्टर की है. इसके अलावास कोरोना की वजह से मेडिकल सेक्टर से जुड़े उत्पादों और वैज्ञानिक उपकरणों का भी आयात बढ़ा है. साल 2020-21 में भारत, चीन को लगभग 1.58 लाख करोड़ रुपये (21.18 अरब डॉलर) का निर्यात कर रहा था. 2021-22 में इसमें थोड़ा सा इजाफा हुआ और अब यह लगभग 1.59 लाख करोड़ रुपये (21.25 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है.
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मोबाइल के आयात में 55 प्रतिशत की कमी
भारत के आयात में चीनी सामानों की हिस्सेदारी में 0.90 प्रतिशत की कमी आई है. चीन से आने वाले मोबाइल में जबरदस्त कमी आई है. 2020-21 की तुलना में देखा जाए तो साल 2021-22 में चाइनीज़ मोबाइल का आयात 55 प्रतिशथ घट गया है. पहले यह लगभग 1.4 अरब डॉलर था जो कि अब 62.5 करोड़ डॉलर पर आ गया है.
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किन चीजों के लिए चीन पर निर्भर है भारत?
आत्मनिर्भरता के नारे के बावजूद भारत अभी भी दवाएं बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले API, केमिकल और कई अन्य अहम चीजों के लिए चीन पर निर्भर है. भारत में दवाओं के लिए API का बड़ा हिस्सा चीन से ही आता है. हालांकि, दूसरे सेक्टर में भारत ने विकल्प तलाशने और आयात को कम करने की ओर कदम बढ़ाए हैं.
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China से आयात में लगातार आ रही कमी, क्या सचमुच आत्मनिर्भर हो जाएगा भारत?