डीएनए हिंदीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए चुनौतीपूर्ण वैश्विक भू-राजनीतिक हालात के बीच चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने महंगाई के अनुमान को 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति का असर घरेलू बाजार पर पड़ रहा है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. वहीं दूसरी ओर अगले वित्त वर्ष के लिए राहत भी दी है. आरबीआई ने इसका अनुमान 5 फीसदी लगाया है. सवाल यह है कि अगर क्रूड ऑयल की कीमत में गिरावट के साथ देश में फ्यूल के दाम भी कम होते तो महंगाई टॉलरेंस लेवल पर आ सकती थी.  

मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई का अनुमान 
आरबीआई ने मौजूइा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महंगाई अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत रहने का अनुमान है. दास ने कहा कि तीसरी तिमाही के लिए महंगाई का अनुमान 6.5 प्रतिशत और मार्च तिमाही के लिए 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि अगर तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी. उल्लेखनीय है कि अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है. केंद्रीय बैंक को जिम्मेदारी दी गई है कि वह मुद्रास्फीति को 2-6 प्रतिशत के बीच रखे. अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में खुदरा महंगाई दर पांच फीसदी रहने का अनुमान है. 

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क्या हो गई हैं कच्चे तेल की कीमतें 
मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमतें 90 डॉलर से नीचे बनी हुई हैं. बीते काफी समय से क्रूड ऑयल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे हैं. उसके बाद भी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कोई बदलाव नहीं किया है. आंकड़ों के अनुसार मार्च के महीने में ब्रेंट क्रूड ऑयल के दाम 144 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए थे, तब से इसमें 40 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल चुकी है. 

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क्या फ्यूल के दाम कम नहीं हो सकते थे?
एक कमोडिटी फर्म के सीनियर ऑफिशियल ने नाम ना प्रकाशित करने शर्त पर बताया कि मई के बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जबकि दो महीने से क्रूड ऑयल 100 डॉलर से नीचे है और मार्च के हाई से 40 फीसदी से ज्यादा सस्ता हो चुका है. ऐसे में अब तक पेट्रोल और डीजल के दाम में 10 से 15 रुपये की गिरावट आ जानी चाहिए थी. जिसके बाद महंगाई में गिरावट देखने को मिल सकती थी. 

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क्या टॉलरेंस लेवल पर आ सकती थी महंगाई?
एक अन्य कमोडिटी एक्सपर्ट ने कहा कि देश रूस से काफी महीनों से डिस्काउंटिड ऑयल खरीद रहा है. एक रिपोर्ट भी सामने आई थी, जिसमें रूसी ऑयल से भारत को 35 हजार करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. वहीं ब्रेंट क्रूड जिसे भारत ज्यादा यूज करता है के दाम में भी काफी समय से गिरावट है. अगर सरकार चाहती तो फ्यूल के दाम में कटौती कर महंगाई को इसी वित्त वर्ष में टॉलरेंस लेवल पर लेकर आ सकती थी. उन्होंने कहा कि अगर मई के बाद से पेट्रोल और डीजल के दाम में 10 से 15 रुपये कम होते तो महंगाई 5.5 फीसदी के आसपास रह सकती थी, जोकि आरबीआई के टॉलरेंस लेवल से नीचे है. 

क्या आरबीआई ने दे दिया है संकेत 
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अगर आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल के दाम में इसी तरह से गिरावट देखने को मिली तो महंगाई में कमी देखने को मिल सकती है. इससे आरबीआई की ओर से साफ संकेत मिल गया है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती देखने को मिल सकती है. वास्तव में आने वाले दिनों में कुछ राज्यों में चुनावी माहौल बना हुआ है. बीते कुछ सालों में देखा गया है कि जब भी चुनाव का माहौल बनता है तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती करना शुरू कर देती हैं.

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If the fuel was cheaper by Rs 15, then know how much inflation would have come down?
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अगर 15 रुपये तक सस्ता होता फ्यूल तो जानें कितनी कम हो जाती महंगाई?
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