डीएनए हिन्दी: माइक्रोवेव फ्रेंडली बर्तनों का ख़याल आते ही पहला नाम जो ज़हन में आता है वह बोरोसिल है. बोरोसिल लगभग चालीस साल पुराना ब्रांड है जो मूलतः कांच के बर्तन बनाता है. इस कंपनी की स्थापना 1962 में बी एल खेरुका ने ‘विंडो ग्लास लिमिटेड’ के नाम से की थी और ग़ज़ब बात यह है कि शुरुआत के बारह साल कंपनी लगातार घाटे में रही. इस नुक़सान ने भी बी एल खेरुका का भरोसा कम नहीं किया. उन्हें यक़ीन रहा कि चीज़ें बेहतर होंगी.
कैसे हुई बोरोसिल की शुरुआत?
स्थापना के बारह सालों के बाद कंपनी ने बोरोसिलिकेट ग्लास से किचनवेयर बनाने का आईडिया लगाया. यह ग्लास बहुत अधिक टेम्परेचर को भी सह सकता था और टूटने से बचा रह सकता था. इसका काफ़ी इस्तेमाल फैक्ट्री और लेबोरेटरी में हो रहा था.कंपनी ने इस ग्लास से बने प्रोडक्ट्स पर अपना फ्लैगशिप ब्रांड ‘बोरोसिल’ तैयार किया. अधिक तापमान पर भी टूटने या क्रैक होने से बचे रहने की अपनी ख़ासियत की वजह से जल्द ही बोरोसिल घर-घर में पसंद किया जाने वाला ब्रांड बन गया.
पीढ़ी दर पीढ़ी का साथ
बी एल खेरुका ने इस ब्रांड की शुरुआत की थी और इसे भविष्य में उनके बेटे प्रदीप खेरुका और श्रीवर खेरुका ने संभाला. श्रीवर का कहना है, कई बार डिनर टेबल बिजनेस के बोर्ड रूम में भी बदल जाता है.
नुक़सान से पाँच सौ करोड़ तक का सफ़र
इस ब्रांड के वर्तमान मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीवर खेरुका मुश्किल दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि कंपनी का कॉस्ट स्ट्रक्चर बिना किसी अनुमान के बढ़ गया और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा भी ख़ूब बढ़ गयी. एक समय हमारे लिए अपने साथ काम कर रहे लोगों की तनख्वाह देना भी मुश्किल हो गया था. मुंबई में अपना प्लांट लगाने की योजना में कई तरह की समस्याएँ हुईं और यह बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया. मैं रात-रात भर सोता नहीं था पर हमें फेल होने से बचना था. हमने अपने हर कस्टमर से स्ट्रेंथ लेना शुरु कर दिया. बीते साल बोरोसिल रिन्यूएबल ने पाँच सौ करोड़ का मुनाफ़ा दर्ज किया और अभी कंपनी के पास पांच ऐसा सिर्फ़ इसलिए हो पाया कि बोरोसिल ने अपनी विशिष्टता, गुणवत्ता और पैकेजिंग का हर हाल में ख़याल रखा.
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