डीएनए हिंदी. जिन लोगों को फैशन और लग्जरी की दुनिया में बेहद  दिलचस्पी है, उन्होंने एलवीएमएच का नाम सुना होगा और बर्नार्ड अरनॉल्ट के बारे में भी पढ़ा होगा. अगर ऐसा करने से आप चूक भी गए हैं, तो सारी जानकारी यहां पढ़ सकते हैं. दुनिया की सबसे सफल लग्जरी कंपनियों में शामिल है एलवीएमएच. एक ऐसी कंपनी जिसके शेयरहोल्डर एक परिवार की तरह हैं और जिनसे पास हर परिस्थिति के लिए पर्याप्त दूरदर्शिता है. इस कंपनी ने अगर दुनिया को लग्जरी की नई परिभाषा सिखाई है, तो उसके पीछे जिस शख्स का दिमाग है, उसे दुनिया बर्नार्ड अरनॉल्ट के नाम से जानती है.

विरासत में मिला बिजनेसमाइंड
बर्नार्ड का जन्म 5 मार्च 1949 को फ्रांस के रॉबैक्स में हुआ था. उनके पिता की एक सिविल इंजीनियरिंग कंपनी थी. बिजनेसमैन पिता के बेटे के रूप में जन्म लेने वाले अरनॉल्ट को बिजनेस की समझ विरासत में मिली थी. हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के लिए इकोल पॉलीटेक्निक कॉलेज में दाखिला लिया. इसके बाद पिता के बिजनेस से जुड़े और उसे उन ऊंचाइयों पर ले गए, जिनसे दुनिया के बड़े-बड़े बिजनेसमैन भी प्रेरणा लेते नजर आए. आज बर्नार्ड अरनॉल्ट फ्रांस के सबसे अमीर व्यक्ति हैं. साथ ही वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में भी शामिल हैं.

बेटे की एक सलाह ने बदल दी बिजनेस की दिशा
बिजनेसमैन पिता के बेटे बर्नार्ड ने पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता का बिजनेस ही ज्वॉइन किया. इसके बाद उन्होंने पिता के बिजनेस को आगे बढ़ाने की योजना पर काम करना शुरू किया. इसी दौरान उन्हें लगा कि पिता को कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में पैसा लगाना चाहिए. किसी तरह पिता को मनाया और 1976 में उनके पिता ने कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में पैसा लगा दिया, जिसका कंपनी को फायदा हुआ. सन् 1977 में बर्नार्ड कंपनी के सीईओ बन गए और 1979 में पिता की जगह कंपनी के अध्यक्ष बना दिए गए. सन् 1981 में फ्रांस की राजनीति का प्रभाव उनके निजी जीवन पर पड़ा और उन्हें अमेरिका जाने के लिए बाध्य किया जाने लगा. वह अमेरिका पहुंचे और वहां भी अपने बिजनेस को खड़ा कर लिया. मजबूरी में अमेरिका आना उनके लिए एक अवसर साबित हुआ और उन्होंने यहां अपने पारिवारिक बिजनेस की यू.एस ब्रांच की शुरुआत की. 1983 में राजनीतिक हालात सही होने के बाद वह फिर फ्रांस लौट आए. यहां उन्हें एक टेक्सटाइल कंपनी बुसॉक के दिवालिया होने की खबर मिली. इस कंपनी में क्रिस्टन डियोर के अलावा कई और बिजनेस ब्रांड शामिल थे. बर्नार्ड ने इस कंपनी को खरीदा और डियोर ब्रांड को छोड़कर बाकी अधिकतर ब्रांड्स को बेच दिया. इसके बाद सन् 1985 में वह डियोर के सीईओ बने. उनका फोकस फैशन सेगमेंट पर ही था. सन् 1987 में उन्हें एलवीएमएच के चेयरमैन की तरफ से कंपनी में निवेश का न्यौता मिला. इसमें बर्नार्ड ने ज्वॉइंट वेंचर के जरिए निवेश का फैसला लिया. कुछ सालों में ही उन्होंने कंपनी के औऱ भी शेय़र खरीद लिए. 1989 तक बर्नार्ड एलवीएमएच के 43.5 प्रतिशत शेयर खरीद चुके थे और उन्हें निर्विवाद रूप से कंपनी का चेयरमैन चुन लिया गया. सन् 1989 से एलवीएमएच के चेयरमैन के तौर पर काम कर रहे हैं और इस कंपनी के मुख्य शेयरधारक भी हैं. उनके नेतृत्व में कंपनी दुनिया के सबसे बड़े लग्जरी ग्रुप के रूप में उभरी.

जब हुई लग्जरी ब्रांड की सबसे बड़ी डील
कुछ समय पहले बर्नार्ड अरनॉल्ट की एलवीएमएच ने अमेरिकन ज्वेलरी कंपनी टिफनी एंड कंपनी को 15.8 अरब डॉलर में खरीद लिया था. लग्जरी ब्रांड के अधिग्रहण की यह डील अब तक की सबसे बड़ी डील कही गई थी. टिफिनी की शुरुआत न्यूयॉर्क में 1837 में हुई थी. टिफिनी के प्रोडक्ट की पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले ब्लू बॉक्स इसकी खास पहचान रहे हैं.

दिमाग बिजनेसमैन का, दिल कलाप्रेमी का
बर्नार्ड अरनॉल्ट का एलवीएमएच को लाना एक बेहद अहम कदम था. दुनिया भर के मशहूर ब्रांड्स को एक ही ग्रुप में शामिल करने की उनकी इस महत्वाकांक्षा ने दुनिया की कई बड़ी फैशन कंपनियों को प्रेरित किया. इसके बाद उनके काम और सोच की मिसाल दी जाने लगी. साल 2007 में उन्हें फ्रेंच लिजन ऑफ ऑनर का कमांडर बनाया गया. साल 2011 में वह फ्रेंच लिजन ऑफ ऑनर के ग्रैंड ऑफिसर बने. साल 2011 में उन्हें वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर फॉर स्कॉलर्स की तरफ से कॉरपोरेट सिटिजनशिप अवॉर्ड दिया गया. उनकी एक खास उपलब्धि ये भी है कि बर्नार्ड बहुत बड़े कला प्रेमी हैं. उनके इस कला प्रेम का ही नतीजा है कि उनके पास पिकासो, येस क्लेन, हेनरी मूरे और एंडी वारहोल की मशहूर पेंटिंग्स मौजूद हैं.

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लग्जरी ब्रांड एलएमवीएच को शिखर तक पहुंचाने में है अहम योगदान
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Bernard arnolt
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