डीएनए हिंदी: कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत द्वारा लगाए गए विधानसभा चुनाव में टिकट बेचने के आरोपों से आहत पार्टी महासचिव हरीश रावत ने मंगलवार को पार्टी से अपने निष्कासन की मांग करते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति की सार्वजनिक जीवन में भी कोई जरुरत नहीं है.

हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में प्रदेश पार्टी अभियान समिति के अध्यक्ष रहे रावत ने एक फेसबुक पोस्ट में अपने उपर लगे टिकट बेचने के आरोप को 'अत्यधिक गंभीर' बताया और कहा, "यदि आरोप एक ऐसे व्यक्ति पर लगाया जा रहा हो, जो मुख्यमंत्री रहा है, जो पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा है, जो पार्टी का महासचिव रहा है और कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य है और आरोप लगाने वाला व्यक्ति भी गंभीर (महत्वपूर्ण) पद पर विद्यमान (आसीन) व्यक्ति हो... तो कांग्रेस पार्टी मेरे उपर लगे इस आरोप के आलोक में मुझे पार्टी से निष्कासित करे."

बाद में संवाददाताओं से बातचीत में 73 वर्षीय कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके भाग्य में शायद बुढ़ापे में चुनाव में टिकट बेचने का आरोप लगना ही लिखा है. भाजपा पर अपने पीछे पड़े होने का आरोप लगाते हुए रावत ने कहा कि उन्होंने (भाजपा) मुस्लिम विश्वविद्यालय खोलने संबंधी बयान दिया और अपने लोग अब टिकट बेचने का आरोप लगा रहे हैं.

रावत ने कहा कि ऐसे में कांग्रेस ही नहीं बल्कि सार्वजनिक जीवन में भी उनकी कोई जरुरत नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा, "उत्तराखंड वालों को चाहिए कि ऐसे हरीश रावत को पकड़कर खड्ड (गड्ढे) में दबा दें."

कांग्रेस को अपने​ लिए भगवान बताते हुए रावत ने कहा कि होलिका दहन हो रहा है तो उसमें हरीश रावत का भी दहन हो जाना चाहिए और कम से कम राजनीतिक दहन तो हो ही जाना चाहिए. यह पूछे जाने पर कि उन पर टिकट बेचने के आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं, पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह आरोप-प्रत्यारोप में नहीं पड़ते.

उन्होंने कहा कि वह चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पद से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं. उन्होंने माना कि चुनाव रणनीति बनाने में चूक रही होगी और पार्टी समय आने पर उसका विश्लेषण करेगी और समाधान निकालेगी. उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति ने ऐसी कोई चूक की है जिसका पार्टी को भारी नुकसान हुआ है तो पार्टी उसके खिलाफ कार्रवाई भी करती है.

पिछले सप्ताह घोषित चुनाव परिणामों में कांग्रेस प्रदेश की 70 में से केवल 19 सीट ही जीत सकी. करीबी से विरोधी बने रणजीत रावत ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री पर पार्टी टिकट बेचने का आरोप लगाया था. हरीश रावत और रणजीत रावत दोनों को ही 14 फरवरी को हुए विधानसभा चुनावों में लालकुआं और सल्ट सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.

कांग्रेस ने पहले हरीश रावत को रामनगर सीट से टिकट दिया था लेकिन बाद में रणजीत रावत के विरोध के बाद उन्हें लालकुआं सीट से चुनावी समर में उतारा गया. इस बारे में हरीश रावत ने कहा कि लोग कह रहे हैं कि उन्हें रामनगर से (चुनाव) लड़ने नहीं जाना चाहिए था क्योंकि वह दूसरे की 'कमाई' थी.

उन्होंने कहा कि लेकिन वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि रामनगर क्षेत्र उनकी भी 'कमाई' है और पिछले पांच साल में वह वहां नियमित रूप से जाते रहे हैं और वहां उनके पक्ष में समर्थन भी है.

रावत ने कहा कि उनके चुनाव लड़ने का फैसला पार्टी का था. उन्होंने कहा कि पूरा देश जानता है कि वह चुनाव लड़ना नहीं बल्कि केवल लड़ाना चाहते थे. हालांकि, उन्होंने कहा, "लेकिन पार्टी नेताओं के यह कहने पर कि इसका पार्टी पर विपरीत असर पड़ सकता है, मैं चुनाव लड़ने के लिए तैयार हुआ और अपनी पसंद की सीट (रामनगर) बता दी."

उन्होंने कहा, "और यह सही समाधान था. मैं रामनगर से लड़ता और जो (रणजीत रावत) सल्ट से लड़ते रहे हैं, वह वहीं से लड़ते. और इन दोनों सीटों का अगल-बगल की सीटों पर भी प्रभाव पड़ता. मैं अंतिम समय में लालकुआं गया और पार्टी का यह निर्णय भी मैंने माना."

हालांकि, उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने लालकुआं के लोगों और कार्यकर्ताओं से भी माफी मांगी और इससे ज्यादा क्या कर सकते हैं. उन्होंने कहा, "अब तो बस यही हो सकता है कि लोग हरीश रावत की राजनीति को दफन कर दें. अगर इसमें उत्तराखंड और कांग्रेस का भला है तो मैं इसके लिए भी प्रस्तुत हूं."

पढ़ें- पांच राज्यों में करारी हार: Congress President Sonia Gandhi ने प्रदेश अध्यक्षों से मांगा इस्तीफा

एक सवाल के जवाब में रावत ने कहा कि अगर पहले भी पार्टी में झगड़े उनकी वजह से हुए हैं तो पार्टी कहे वह हट जाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर उत्तराखंड यह समझता है कि उनकी वजह से प्रदेश की तरक्की नहीं हो पा रही है तो वह यहां से चले जाएंगे और कहीं और अपना आशियाना ढूंढ लेंगे. बड़े ही आहत स्वर में उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस भी यह कह दे तो भी मैं चला जाऊंगा."

पढ़ें- क्या BJP की तरफ से सपा में भेजे गए थे Swami Prasad Maurya?

उत्तराखंड सहित देश में कांग्रेस की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि इसका एकमात्र निदान कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाना है. उन्होंने कहा, "हारने के समय से अब तक मैं पांच हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं और हारने वाले प्रत्याशियों को फोन कर चुका हूं. उनके घर जा रहा हूं. कुछ लोग गुस्सा निकाल रहे हैं, उसे भी सुन रहा हूं." लेकिन साथ ही उन्होंने दोहराया, यदि उनकी सक्रियता कांग्रेस के लिए नुकसानदायक है तो वह कतई सक्रिय नहीं रहना चाहते लेकिन यह पार्टी को तय करना होगा.

हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.

Url Title
Will Harish Rawat leave Uttarakhand
Short Title
क्या उत्तराखंड छोड़ देंगे Harish Rawat? जानिए क्यों दिया ऐसा बयान
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Zee Opinion Poll uk election 2022 congress masterstroke harish rawat popularity
Date updated
Date published