डीएनए हिंदी: लकड़ी के खूबसूरत घरों और सेब के बगीचों से सजा उत्तराखंड का बगोरी गांव इस बार के चुनाव में चर्चा का एक अहम मुद्दा है. वजह यह है कि ऐसा पहली बार होगा जब इस गांव के लोग भी सर्दी के मौसम में वोट डाल पाएंगे. जब भी चुनाव सर्दी के मौसम में होते हैं इस गांव के लोग वोट नहीं डाल पाते, क्योंकि सर्दी के मौसम में वे यहां से पलायन कर जाते हैं. जितनी अनोखी इन लोगों की कहानी है, उतना ही काबिले-तारीफ निर्वाचन आयोग का यह कदम है जिसके तहत इनकी वोटिंग के लिए खास व्यवस्था की गई है. जानते हैं पूरी बात-
सर्दी में छोड़ना पड़ता है गांव
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बसा है बगोरी गांव. यहां रहने वाले लोग मूलतः भोटिया जनजाति से जुड़े हैं. भेड़ें चराना और उनकी ऊन से गर्म कपड़े बनाना इनका मूल काम है. ये लोग अप्रैल से अक्टूबर तक बगोरी में रहते हैं और सर्दी के मौसम में बगोरी में होने वाली भारी बर्फबारी के चलते डुंडा गांव में आकर बस जाते हैं. यही वजह है कि ये लोग सर्दी के मौसम में होने वाले चुनावों में कभी वोट नहीं डाल पाते हैं, मगर इस बार ऐसा नहीं होगा.
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डुंडा गांव में ही बना मतदान केंद्र
अब बगोरी के लोग भी अपने शीतकाल प्रवास स्थान डुंडा में ही मतदान कर सकेंगे. ग्रामीणों ने मतदान केंद्र बदलने की मांग जिलाधिकारी से की थी. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जिला अधिकारी मयूर दीक्षित ने ग्रामीणों की मांग पर उनके लिए मतदान केंद्र डुंडा में ही बनाने की व्यवस्था कर दी है. इस संबंध में शासन से स्वीकृति भी ली जा चुकी है. इस गांव में करीब 800 मतदाता हैं.
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क्यों खास है बगोरी गांव
कहा जाता है कि 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान सीमा पर बसे जादुंग और नेलांग गांव खाली हो गए थे और वहां के अधिकतर लोग बगोरी गांव में आकर बस गए. 1962 भारत चीन युद्ध से पहले यहां के लोग गरतांगली दर्रे होते हुए चीन की व्यापारिक मंडियों में अपने उत्पाद लेकर जाते थे. युद्ध के बाद दोनों तरफ से यह व्यापार बंद हो गया. अब वह अपने ही राज्य में व्यापार करते हैं. इनका मुख्य काम ऊन कातना और गर्म कपड़े बनाना है.
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Uttarakhand Elections: सर्दी के मौसम में पहली बार वोट देंगे इस गांव के लोग, भारत-चीन युद्ध से है कनेक्शन