डीएनए हिंदी: 10 फरवरी को यूपी में प्रथम चरण का मतदान होना है. पहले चरण में वेस्टर्न यूपी के बड़े इलाके में वोट डाले जाएंगे. यहां कानून व्यवस्था चुनावी मुद्दा बना हुआ है. इसी पर सियासी पार्टियां मैदान में जंग लड़ते देखी जा सकती हैं. सत्तारूढ़ दल के सारे बड़े नेता ने इसी मुद्दे को लेकर पिच में डटे हैं. जबकि विपक्षी इसे अलग तरीके से पेश कर रहे हैं.
राजनीतिक पंडितों की मानें तो पश्चिमी यूपी के चुनाव से जन मुद्दे गायब हो चले हैं. अब कानून व्यवस्था को मुद्दा बनाकर धुव्रीकरण कराने का प्रयास हो रहा है. 2013 में हुए मुजफ्फर नगर के दंगों की यादें ताजा की जा रही हैं. भाजपा की ओर से बताने का प्रयास हो रहा है कि पहले की तस्वीर क्या थी अब क्या बदलाव हुए हैं.
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हलांकि यह मुद्दे कितने मुफीद होंगे यह तो 10 मार्च के बाद पता चलेगा. पहले चरण वाली सीटें जाट और मुस्लिम बाहुल्य हैं. यहां पर भाजपा (BJP) ने 2017 में क्लीन स्वीप किया था लेकिन इस बार किसान आंदोलन और सपा-रालोद के गठबंधन से भाजपा को चुनौती मिलती दिखाई दे रही है.
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भाजपा की ओर से गृहमंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, राजनाथ और योगी ने कमान संभाल रखी है. अमित शाह ने कैराना से प्रचार की शुरुआत की और पलायन का मुद्दा लोगों को याद दिलाया. इसके बाद बुलंदशहर, अलीगढ़ में मफिया अपराधी कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष को घेरने में लगे हैं.
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इसके अलावा उनके निशाने पर सपा के प्रत्याशियों की सूची हैं, जिसे बार-बार याद दिलाकर लोगों को झकजोर रहे हैं. साथ ही मुजफ्फरनगर के दंगों की याद दिला रहे हैं. यह भी बता रहे हैं कि 2014, 2017 फिर 2019 में क्या क्या बदलाव हुए हैं.
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मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद भाजपा को सत्ता मिली थी. अमित शाह ने मुजफ्फरनगर दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि वो आज भी दंगों की पीड़ा को भूल नहीं पाए हैं. उन्होंने आगे कहा कि अखिलेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे के समय पीड़ितों को आरोपी और आरोपियों को पीड़ित बना दिया.
अखिलेश और जयंत के गठबंधन पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि जयंत और वे साथ-साथ हैं लेकिन मैं आपको बतना चाहता हूं कि सिर्फ मतगणना तक ही दोनों साथ-साथ हैं. सरकार बनते ही अखिलेश जयंत को बाहर कर देंगे और आजम खान को अपने बगल में बैठा लेंगे. इसके बाद आपको आजम और अतीक ही दिखाई देंगे.
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