डीएनए हिंदी. उत्तर प्रदेश में भाजपा और सपा लगातार अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी पर लंबे समय से परिवारवाद के आरोप लगते रहे हैं लेकिन इस चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी इन आरोपों से छुटकारा पाने का प्रयास करती दिखाई दे रही है.

सपा की तरफ से जिन प्रत्याशियों का ऐलान किया गया है, उनमें अभी तक सैफई परिवार से जुड़े सिर्फ दो लोगों के नाम दिखाई दिए हैं. कहा जा रहा है कि अखिलेश अपने कुनबे को दूर रख वन मैन शो दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. अभी तक के प्रत्याशियों में सैफई कुनबे से खुद अखिलेश और उनके चाचा शिवपाल ही चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं.

मुलायम परिवार के लोगों को राजनीति में लाए

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) जब राजनीति में आए तो उन्होंने सबसे पहले अपने कुनबे को तेजी से पार्टी और सियासत में आगे बढ़ाया. वर्तमान में मुलायम सिंह मैनपुरी से सांसद है. अखिलेश आजमगढ़ से, रामगोपाल राज्यसभा सांसद है. शिवपाल जसवंतनगर विधानसभा से विधायक है.

पढ़ें- Padrauna Election: बीजेपी में RPN Singh के आने से टेंशन में स्वामी प्रसाद मौर्य? क्या होगा परिणाम

इसके अलावा मुलायम सिंह के बड़े भाई अभयराम सिंह के बेटे धर्मेंद्र बदायूं संसदीय सीट से लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. धर्मेंद 2019 में स्वामी प्रसाद की बेटी संघमित्रा से चुनाव हार गए थे. तेज प्रताप यादव मुलायम सिंह के बड़े भाई रतन सिंह के पोते हैं. वह भी मैनपुरी सांसद रह चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव (Akhilesh Yadav wife Dimple Yadav) कन्नौज संसदीय सीट से सांसद रह चुकी हैं. वह भी 2019 के चुनाव में भाजपा के सुब्रत पाठक से चुनाव हार गयी थीं.

रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव भी फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं. इसके अलावा शिवपाल के बेटे आदित्य यादव भी सक्रिय राजनीति में हैं. वह इस बार चुनाव भी लड़ना चाहते थे. इसके अलावा मुलायम के दूसरी पत्नी साधना के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अपर्णा भी लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ चुकी हैं. लेकिन इस बार टिकट की गुंजाइश न बन पाने के कारण वो भाजपा में शामिल हो गईं.

नए रंग में सपा को रंग रहे अखिलेश!

सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों पार्टी को अपने रंग में ढालने में लगे हैं. वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहते हैं, जिससे विरोधी उन पर उंगली उठा सकें. यही कारण है कि वह अपने परिवार के लोगों को इस बार के चुनाव में ज्यादा दखल नहीं देने दे रहे हैं.

पढ़ें- UP Elections: RPN Singh के बाद कांग्रेस को एक और बड़ा झटका!

उन्होंने बताया कि सैफाई परिवार के कई लोग चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें हरी झण्डी नहीं मिली. चाहे शिवपाल के बेटे हों या रामगोपाल के अन्य रिश्तेदार. टिकट न मिलने से ही अपर्णा यादव और हरिओम यादव जैसे उनके सगे रिश्तेदार आज पार्टी में नहीं हैं. पार्टी को परिवाद की छवि से निकालने की पूरी कवायद में जुटे हैं.

अखिलेश ने अपनाई पिता से अलग रणनीति

वरिष्ठ राजनीतिक विष्लेषक रतनमणि लाल कहते हैं कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह ने अपने स्तर से परिवार के लोगों को पद और जिम्मेदारी देकर आगे बढ़ाया. परिवार के मुखिया होने के नाते उन्होंने यह कदम उठाया. अपने लोगों का उन्होंने जगह दी. उसमें अखिलेश, शिवपाल, रामगोपाल थे. इसके अलावा भाई, भतीजे, भांजे सभी इसमें शामिल थे. लेकिन अब अखिलेश पार्टी को नही राह पर लेकर जाते दिखाई दे रहे हैं. सैफई कुबने से उनकी दूरी दिखाई भी दे रही है. 

Url Title
Samajwadi Party Akhilesh Yadav not giving ticket to family members in UP Elections
Short Title
UP Elections: इस बार कुनबे के लोगों को टिकट क्यों नहीं दे रहे अखिलेश
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Akhilesh
Caption

Image Credit- Twitter/yadavakhilesh

Date updated
Date published