डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं. विधानसभा चुनावों (Assembly Election) को लेकर अभी से सियासी पार्टियां भूमिका बनाने में जुट गई हैं. बहुजन समाज पार्टी (BSP) के ब्राह्मण सम्मेलन के बाद अब समाजवादी पार्टी (SP) भी ब्राह्मण वोटरों को लुभाने की जुगत में लग गई है.
सपा से ब्राह्मण वोटरों की नाराजगी जग जाहिर है. सपा अपनी नई रणनीति से ब्राह्मण वोटरों को साधने में जुट गई है. 2 जनवरी को लखनऊ के गोसाईं गंज इलाके में भगवान परशुराम की मूर्ति का अनावरण अखिलेश यादव ने किया. वैदिक मंत्रों की गूंज के बीच उन्होंने परशुराम की आराधना की. अपने एक दांव से अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि वह अब ब्राह्मणों को साथ लेकर चलने की कोशिशों में जुट गए हैं.
दरअसल समाजवादी पार्टी (SP) के नेता संतोष पांडे (Santosh Pandey) ने भगवान परशुराम का ये मंदिर लखनऊ में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे बनवाया है. यह मंदिर अब आम जनता के लिए भी खोल दिया गया है. इसे अखिलेश यादव का ब्राह्मण वोटरों को लुभाने की दिशा में बड़ा दांव माना जा रहा है.
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कृष्ण-परशुराम को साध रहे अखिलेश!
अखिलेश यादव के पिता और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव रामभक्तों के निशाने पर रहते हैं. कारसेवकों पर गोली चलाने के प्रशासनिक आदेश के दाग से सपा आजतक उबर नहीं पाई है. ऐसे में अखिलेश यादव को यह पता है कि रामभक्त उनके साथ नहीं आने वाले. यूपी की सियासत साधने के लिए अब वे कृष्ण और परशुराम के सहारे हैं. ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम समीकरण साधने की कोशिश में जुटे अखिलेश यादव को सॉफ्ट हिंदुत्व से भी अब परहेज नहीं है.
क्यों ब्राह्मण वोटरों को लुभाने में जुटी है सपा?
यूपी की 403 विधानसभा सीटों में 12 फीसदी ब्राह्मण वोटबैंक का व्यापक असर है. जो इस वर्ग को अपने साथ ले जाएगा, उसकी राह ज्यादा आसान होगी. ब्राह्मण वोटरों का दूसरे वर्गों पर भी व्यापक असर देखने को मिलता रहा है. यही वजह है कि बसपा के पूर्व सांसद और सीनियर लीडर राकेश पांडेय को सपा ने अपने खेमे में शामिल करा लिया है. ऐसे ही लगातार सपा ब्राह्मणों को अपनी पार्टी में शामिल करा रही है.
पूर्वांचल के ब्राह्मण वोटबैंक में सपा की सेंध!
हाल ही में पूर्वांचल के बहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के बेटे और बीएसपी विधायक विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. विनय शंकर तिवारी गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधान सभा सीट से विधायक हैं. संतकबीरनगर के खलीलाबाद से बीजेपी विधायक जय चौबे बीजेपी को छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए हैं. वहीं पूर्व सांसद कुशल तिवारी और गणेश शंकर पाण्डेय भी सपा में शामिल हो चुके हैं. ऐसे में पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं को सपा में शामिल कर समाजवादी पार्टी अपनी सियासी पकड़ लगातार मजबूत कर रही है.
ब्राह्मण नेताओं का कैसा रहा है विधानसभा में प्रदर्शन?
साल 2007 के विधानसभा चुनावों में बसपा के 41 विधायक ब्राह्मण थे. 2012 की सपा सरकार में 21 ब्राह्मण विधायकों को जीत मिली. 2014 में सबसे ज्यादा 46 ब्राह्मण विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे. माना यह जा रहा है कि राज्य में फिलहाल ब्राह्मण वोटबैंक भारतीय जनता पार्टी के साथ खड़ा है. ऐसे में हर राजनीतिक पार्टी की कोशिश ये है कि ब्राह्मण वोटरों को किसी तरह से अपने पाले में लाया जाए.
साल 1931 के बाद से ही देश में जातीय जनगणना नहीं हुई है. ऐसे में अनुमान है कि सूबे में 12 फीसदी वोटर ब्राह्मण हैं. 11 जिले ऐसे भी हैं जहां ब्राह्मण वोटरों की संख्या 15 फीसदी से ज्यादा है. 60 विधानसभाओं में ब्राह्मण वोटर का समर्थन निर्णायक स्थिति में रहता है. ऐसे में हर पार्टी यही चाहती है कि ब्राह्मण वोटर साथ रहें. अखिलेश यादव के परशुराम प्रेम की एक वजह यह भी है.
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