डीएनए हिंदी: विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के बड़े नेताओं की नाराजगी का आलम खत्म होता नहीं दिख रहा. कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद अब उत्तराखंड के पूर्व सीएम Harish Rawat भी बगावती मूड में नजर आ रहे हैं. रावत ने फिलहाल पार्टी छोड़ने जैसे कयासों पर कुछ नहीं बोला है. उनकी चुप्पी में भी बगावती तेवर जरूर नजर आ रहे हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस हाई कमान रावत को सीएम फेस बना भी दे, तो भी मामला सुलझने नहीं जा रहा.

कैप्टन की तरह रावत भी होंगे अलग? 
कांग्रेस के बड़े नेताओं की पार्टी से नाराजगी और बगावत 2019 लोकसभा चुनावों के बाद से जारी है. इससे पहले, कभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री चेहरा तक कहे जा रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपनी राहें अलग कर चुके हैं. कमलनाथ को सीएम बनाने के बाद से नाराज चल रहे सिंधिया ने आखिरकार बगावत कर बीजेपी का दामन थाम लिया. Punjab Election 2022 से ठीक पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अलग रास्ता अपना चुके हैं. इन्हीं दोनों की तर्ज पर अगर रावत भी कांग्रेस से दूर हो जाते हैं, तो पहले से ही मुश्किलों से घिरी पार्टी के लिए राज्य इकाइयों को जोड़े रखना बहुत मुश्किल होने जा रहा है. 

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क्या है रावत की नाराजगी की वजह
कांग्रेस पार्टी बहुत से राज्यों में इस वक्त आंतरिक कलह से गुजर रही है. उत्तराखंड में भी मामला राज्य के अंदर चल रहे घमासान का ही है. सूत्रों की मानें, तो प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव से बढ़ते तकरार की वजह से रावत खेमा खुद को अलग-थलग मान रहा है. रावत नहीं चाहते हैं कि 2016 में उनकी सरकार गिराने की साजिश करनेवालों को पार्टी में शामिल किया जाए. इसके अलावा, प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से भी रावत की कुछ खास जम नहीं रही है. 

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कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के लिए क्या है चुनौती? 
लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का खराब प्रदर्शन और विधानसभाओं में मिली हार से पार्टी का स्थानीय नेतृत्व सभी राज्यों में निराश है. लगातार हार की वजह से कार्यकर्ताओं का मनोबल भी गिरा हुआ है. ऐसे में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले अलग-अलग राज्यों से कांग्रेस में कलह की खबरें आती ही जा रही हैं. आंतरिक झगड़ों और गुटबाजियों को खत्म करना दिल्ली में बैठे शीर्ष नेताओं के लिए बहुत मुश्किल है. स्थानीय नेतृत्व के बीच तालमेल के अभाव का सीधा फायदा विपक्षी पार्टियों को मिल सकता है.  

CM फेस बना देने से भी बढ़ेगा झगड़ा
उत्तराखंड में अगर हरीश रावत को पार्टी से जोड़े रखने के लिए हाई कमान सीएम फेस बना भी दे, तो यह झगड़ा थमने वाला नहीं है. प्रदेश कांग्रेस सीधे तौर पर दो फाड़ है. रावत की मांग मान लेने से दूसरा धरा अंसतुष्ट हो जाएगा. ऐसे हालात में नाराज नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की गुंजाइश बहुत ज्यादा है. इसके अलाना, कांग्रेस की खेमेबाजी का भी फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

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Uttarakhand Election 2022 : हरीश रावत के बागी तेवर, बढ़ी कांग्रेस की मुश्किल
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