डीएनए हिंदी: पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) को लेकर ये माना जा रहा है कि जिस ओर इस बार किसान संगठनों का रुख होगा, उस राजनीतिक दल को चुनावों में आसानी होगी. वहीं किसान नेताओं ने भी इस चुनाव में अपना राजनीतिक संगठन बनाया है. संयुक्त किसान मोर्चा और राजनीतिक किसान संगठनों के संबंधों को लेकर अब संयुक्त किसान मोर्चे ने एक बड़ा बयान दिया है और कहा कि जो संगठन चुनाव लड़ रहे हैं वो संयुक्त किसान मोर्चे का हिस्सा नहीं होंगे.
संयुक्त किसान मोर्चे ने खुद को किया अलग
पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (उग्रहन) ने पहले ही चुनाव लड़ रहे किसी भी नेता का समर्थन या विरोध न करने की बात कही थी. वहीं अब संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि चुनाव लड़ने वाले संगठन मोर्चे का हिस्सा नहीं होंगे. इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया और चुनावों को लेकर अहम बातें कहीं.
चुनाव लड़ने वाले किसान संगठनों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता युद्धवीर सिंह ने कहा, “किसान मोर्चा पंजाब में चुनाव लड़ रहे किसान संगठनों से सहमत नहीं है और वे अब मोर्चे का हिस्सा नहीं होंगे. चुनाव में भाग ले रहे संगठन एसकेएम का हिस्सा नहीं हैं.”
अजय मिश्रा की बर्खास्तगी की मांग
वहीं लखीमपुर-खीरी कांड को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने के लिए दबाव बनाने को लेकर 21 जनवरी से तीन दिनों के लिए लखीमपुर खीरी जाएंगे. वहीं युद्धवीर सिंह ने कहा, “ टिकैत पीड़ितों, जेल में कैद किसानों और अधिकारियों से मिलेंगे. यदि कोई प्रगति नहीं होती है तो किसान संगठन लखीमपुर में धरना दे सकते हैं.”
गौरतलब है कि पंजाब चुनाव के चलते ही कुछ किसान नेता किसान आंदोलन को खत्म करना चाहते थे. वहीं अब इस चुनाव के चलते संयुक्त किसान मोर्चा दो गुटों में बंट गया है. यह माना जा रहा है कि इस कदम से किसानों की एकता कमजोर पड़ सकती है.
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