डीएनए हिंदीः पंजाब विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और अकाली दल के साथ बीजेपी और आम आदमी पार्टी भी मैदान हैं. इस बार चुनाव में पुराने समीकरण बदल गए हैं. कांग्रेस के कभी कद्दावर नेता और पूर्व सीएम रहे अमरिंदर सिंह अब बीजेपी के साथ हैं. बीजेपी इस बार अकाली दल के साथ गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ रही है. मलेरकोटला विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है. कांग्रेस ने सिटिंग विधायक रजिया सुल्ताना को ही उम्मीदवार बनाया है.
शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच रहा है मुकाबला
इस सीट पर अमूमन शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस के बीच टक्कर देखने को मिलती है. 1972 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी से साजिदा बेगम ने जीत हासिल की थी. 1977 में शिरोमणि अकाली दल से अनवर अहमद खान ने सीट पर कब्जा किया था. 1980 में कांग्रेस पार्टी से साजिदा बेगम ने दूसरी बार जीत हासिल की थी. 1985 में शिरोमणि अकाली दल से नुसरत अली खान विधायक चुने गए थे. 1992 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अब्दुल गफूर ने जीत दर्ज की थी. 1997 में शिरोमणि अकाली दल के नुसरत अली खान दूसरी बार जीत हासिल की. 2002 और 2007 में कांग्रेस की रजिया सुल्ताना ने जीत हासिल की. 2012 में शिरोमणि अकाली दल की निशारा खातून और 2017 में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार रजिया सुल्ताना ने फिर जीत हासिल की थी.
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2017 में ऐसा रहा था परिणाम
2017 के विधानासभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवार रजिया सुल्ताना इस सीट पर तीसरी बार विधायक चुनी गई थीं. उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार मोहम्मद ओवैस को हराया था. रजिया सुल्ताना को 58,982 वोट मिले थे, जबकि अकाली दल के मोहम्मद ओवैस को 46,280 वोट मिले थे.
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इस बार रोचक है मुकाबला
मलेरकोटला विधानसभा सीट पर इस साल कांग्रेस ने मौजूदा विधायक रजिया सुल्ताना को टिकट दिया है. पीएलसी की तरफ से फरजाना आलम खान चुनाव लड़ेंगे. वहीं AAP ने मोहम्मद जमील उर रहमान को मैदान में उतारा है. एसएडी की तरफ से नुसरत अली खान चुनाव लड़ेंगे.
मुस्लिम बहुल इलाका
यह सीट पंजाब की अकेली मुस्लिम बहुल सीट है. आम तौर पर यह इलाका शांतिपूर्ण माना जाता है.भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान अकेला क्षेत्र था जहां खूनखराबा नहीं हुआ था.
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