डीएनए हिंदी: अभिनंदन पाठक को उनके नाम से कम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हमशक्ल के तौर पर ज्यादा जाना जाता है. अब वह इसलिए भी चर्चा में हैं कि क्योंकि चुनाव में खड़े हो गए हैं. वह उत्तर प्रदेश के लखनऊ की सरोजनी नगर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए हैं.
56 साल के अभिनंदन पाठक का कहना है कि उन्होंने बीजेपी से टिकट मांगा था, मगर उन्हें नहीं मिला, इसलिए वह निर्दलीय खड़े हो रहे हैं. उनका दावा है कि उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भी टिकट के लिए पत्र लिखा था, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
'मोदी का भक्त हूं'
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक अभिनंदन पाठक का कहना है, ' मैं मोदी भक्त हूं, लेकिन बीजेपी मुझे नजरअंदाज करती है. फिर भी मैं चुनाव लड़ूंगा और योगी आदित्यनाथ की फिर से मुख्यमंत्री बनने में मदद करुंगा. मैं काम को लेकर उनके जुनून की काफी कद्र करता हूं.'
बीजेपी करती है नजरअंदाज
यह पहली बार नहीं है जब अभिमन्यु पाठक चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले वह छत्तीसगढ़ चुनाव के दौरान भी बीजेपी के प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ पहुंच गए थे. उनका कहना है कि यहां भी उन्होंने मुख्यमंत्री रमन सिंह मिलना चाहा, लेकिन उन्होंने भी उन्हें नजरअंदाज किया और एक दिन के रहने की व्यवस्था भी नहीं की. उनका आरोप है कि बीजेपी उन्हें हमेशा नजरअंदाज करती है. वह एक नेता बनकर देशसेवा करना चाहते हैं. साल 2014 में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे. उस दौरान प्रधानमंत्री वाराणसी में प्रचार के लिए पहुंचे थे. उस दिन से उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को अपना जीवन समर्पित कर दिया है.
ट्रेन में खीरे बेचते हैं पाठक
वैसे पाठक का तलाक हो चुका है. वह अपनी अजीविका चलाने के लिए ट्रेन में खीरे बेचते हैं. आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण ही उनका तलाक हो गया था. वह बताते हैं, 'सन् 1999 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने सहारनपुर सीट से चुनाव लड़ा था. इस दौरान उनकी सारी जमापूंजी खत्म हो गई. उनके छह बच्चे हैं. तीन बेटियों की शादी हो चुकी है. उनकी पत्नी दो बेटों के साथ रहती है. वह घर छोड़ चुके हैं.
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