डीएनए हिंदी: दिल्ली नगर निगम चुनाव (MCD Election 2022) में आम आदमी पार्टी ने बंपर जीत हासिल की है. पिछले बार तीनों नगर निगम में हारने वाली AAP ने इस बार 250 में से 134 सीटें जीत ली हैं. इस जीत के साथ उम्मीद जताई जा रही है कि नगर निगम में AAP का मेयर बनेगा. अगर अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की पार्टी अपना मेयर बनाने में कामयाब होती है तो कई बड़ी चुनौतियां उसके सामने खड़ी होंगी. पहले से ही कई गंभीर चुनौतियों से जूझ रहे दिल्ली नगर निगम (MCD) को आर्थिक संकट से उबारना और दिल्ली को साफ बनाना काफी मुश्किल होने वाला है. अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्लीवासियों को कई बड़ी-बड़ी गारंटी दी है. ऐसे में उनके सामने उन गारंटियों को पूरा करना भी चुनौतियों भरा होगा.
दिल्ली नगर निगम से सफाई कर्मचारी, एमसीडी स्कूलों के टीचर, संविदा कर्मचारी और कई अन्य तरह के कर्मचारी अक्सर सैलरी न मिलने से परेशान रहते हैं. कई बार सैलरी के लिए प्रदर्शन भी हो चुके हैं. संविदा कर्मचारियों की सैलरी तो सबसे बड़ी समस्या रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह होती थी कि एमसीडी के पास बजट ही नहीं होता था. इसको लेकर खूब राजनीति भी होती थी. मौजूदा AAP सरकार बीजेपी पर आरोप लगाती थी कि उसके भ्रष्टाचार की वजह से एमसीडी में पैसों का दुरुपयोग हो रहा है. वहीं, बीजेपी ने बार-बार पोस्टर लगाए कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार एमसीडी के लिए पर्याप्त पैसा ही नहीं दे रही है. अब दोनों में AAP की सरकार होगी तो अरविंद केजरीवाल कम से कम ऐसी बात तो नहीं कह पाएंगे और उन्हें अपने वादों को पूरा करना ही होगा.
यह भी पढे़ें- कैसे चुनाव-दर-चुनाव बढ़ता जा रहा है अरविंद केजरीवाल का कद!
15 हजार करोड़ के कर्ज में है एमसीडी
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली नगर निगम पर 15 हजार करोड़ से ज़्यादा का कर्ज है. एमसीडी के स्कूलों और अस्पतालों का हाल किसी से छिपा नहीं है. सफाई के लिए भी कई बार बजट आड़े आता है. AAP के अलावा कांग्रेस और बीजेपी ने भी अपने मेनिफेस्टों में इस कर्ज को खत्म करने का कोई विजन पेश नहीं किया. दिल्ली में खड़े कूड़े के पहाड़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शर्मिंदगी का कारण बने हैं.
MCD में @ArvindKejriwal की 10 Guarantee
— AAP (@AamAadmiParty) November 11, 2022
1️⃣कूड़े के पहाड़ ख़त्म,साफ़ Delhi
2️⃣वसूली बंद
3️⃣Parking समस्या ख़त्म
4️⃣आवारा जानवरों का समाधान
5️⃣बेहतर सड़कें-गलियां
6️⃣शिक्षा-स्वास्थ्य
7️⃣सुंदर Parks
8️⃣समय पर वेतन
9️⃣व्यापारियों को समस्याओं से मुक्ति
🔟Vending Zone#KejriwalKiMCDGuarantee pic.twitter.com/hKxf4W2EIr
यह भी पढ़ें- MCD चुनाव में मुरझाया कमल, जानिए भाजपा ने कहां-कहां की गलती
MCD और केजरीवाल के सामने बड़ी चुनौतियां
अरविंद केजरीवाल ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि अगर एमसीडी में आम आदमी पार्टी जीतती है तो कूड़े के पहाड़ों को खत्म किया जाए. इन डंपिंग साइट्स की समस्या यह है कि जितने कचरे का निपटारा एक दिन में किया जाता है लगभग उतना ही कचरा हर दिन यहां पहुंच जाता है. दिल्ली की बढ़ती जनसंख्या भी इसमें बड़ी बाधक है. दिल्ली में और जगहें भी नहीं हैं जहां इस तरह के डंपिंग साइट बनाए जा सकें. साफ-सफाई के अलावा एमसीडी की माली हालत सबसे बड़ी समस्या है. सालाना 4,800 करोड़ रुपये की कमाई करने वाली एमसीडी का सिर्फ़ वेतन पर खर्च 9,300 करोड़ रुपये है. एमसीडी को अपनी आमदनी से तीन गुना ज़्यादा खर्च हर साल करना पड़ता है. अरविंद केजरीवाल के लिए इसे संभालना भी बड़ी चुनौती है.
यह भी पढ़ें- केजरीवाल-मनोज तिवारी और सिसोदिया ने जहां डाला वोट, MCD की उन सीटों का क्या है हाल?
कौन-कौन से काम करता है MCD?
एमसीडी का मुख्य काम साफ-सफाई का है. इसके अलावा एमसीडी के पास शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, सीवर और कुछ इलाकों में पानी की सप्लाई का काम भी है. दिल्ली में बनने वाले घरों की निगरानी और नियंत्रण का काम, सफाई कर्मचारियों का मैनेजमेंट, सड़क निर्माण, स्कूल-बारात घर निर्माण, सड़क पर लाइट का इंतजाम, बाजारों का मैनेजमेंट, सामान्य प्रशासन और गार्डनिंग जैसे काम हैं.
केजरीवाल की 10 गारंटी:-
- दिल्ली में खत्म होंगे कूड़े के पहाड़
- भ्रष्टाचार होगा खत्म, वसूली होगी बंद
- पार्किंग की समस्याएं खत्म की जाएंगी
- आवारा पशुओं का होगा समाधान
- गलियों को सड़कों को करेंगे ठीक
- एमसीडी के स्कूल और अस्पताल होंगे बेहतर
- पार्कों को किया जाएगा साफ और सुंदर
- एमसीडी कर्मचारियों के समय पर मिलेगा वेतन
- व्यापारियों की समस्याओं का होगा समाधान
- रेहड़ी-पटरी वालों के लिए बनेंगे वेंडिग जोन
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
15 हजार करोड़ के घाटे में है दिल्ली एमसीडी, केजरीवाल कैसे पूरी करेंगे अपनी गारंटी?