डीएनए हिंदीः योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकते हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सभी एग्जिट पोल (Exit Poll) में बीजेपी की सरकार बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करती दिखाई दे रही है. सत्ता में वापसी के साथ ही सीएम योगी कई मिथक भी तोड़ेंगे. नोएडा से लेकर आगरा तक कई ऐसे मिथक थे जिन्हें तोड़ने से पिछले मुख्यमंत्री हमेशा कतराते रहे. सीएम योगी को अपने कार्यकाल में ना तो नोएडा आने का खौफ रहा और ना ही गेस्ट हाउस में रुकने का. इसके साथ ही एक और ऐसा अंधविश्वास है जिसे तोड़ने का सीएम योगी दम भर रहे हैं. यूपी में पिछले 36 साल में कोई भी पार्टी दोबारा सरकार बनाने में सफल नहीं रही.  

मुख्‍यमंत्रियों में रहा नोएडा आने का खौफ
नोएडा को लेकर सिटिंग मुख्यमंत्रियों में खौफ रहा है. दरअसल ऐसा मिथक रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री नोएडा आता है इसकी कुर्सी चली जाती है. नोएडा को सीएम की कुर्सी के लिए मनहूस तक माना जाने लगा. दरअसल इसके पीछे लोगों के अपने तर्क भी हैं. जून 1988 में नोएडा से लौटने के कुछ दिनों बाद तत्‍कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह को पद छोड़ना पड़ा था. इसके बाद एनडी तिवारी (1989), मायावती (1997 में सत्ता गंवाई) और कल्याण सिंह (1999) नोएडा का दौरा करने के बाद कुर्सी से चले गए. इसके बाद तो मुख्यमंत्रियों ने नोएडा से किनारा ही कर लिया. 

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पूर्व सीएम अखिलेश यादव तो नोएडा से इतना खौफ खा गए कि उन्‍होंने 2013 में नोएडा में आयोजित एशियाई विकास बैंक शिखर सम्मेलन तक में शिरकत नहीं की. इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुख्य अतिथि थे. इतना ही नहीं यमुना एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन भी उन्होंने लखनऊ से ही रिमोट कंट्रोल से कर दिया.  
 
सीएम योगी कई बार आए नोएडा
सीएम योगी कई बार नोएडा का दौरा कर चुके हैं. 23 सितंबर, 2017 को उन्होंने बॉटेनिकल गार्डन-कालकाजी मैजेंटा मेट्रो लाइन के उद्घाटन के लिए पीएम मोदी की यात्रा से पहले व्यवस्था की जांच करने के लिए शहर का दौरा किया. दो दिन बाद 25 सितंबर को वह पीएम मोदी के साथ मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे. 2018 में वह पीएम की यात्रा की व्यवस्था की निगरानी के लिए 8 जुलाई को नोएडा पहुंचे थे. एक दिन बाद वह नोएडा में सैमसंग की दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री के उद्घाटन के मौके पर शहर पहुंचे थे. हाल ही में वह पीएम मोदी के साथ जेवर एयरपोर्ट की आधारशिला रखने भी पहुंचे.  

आगरा के सर्किट हाउस को लेकर भी अंधविश्‍वास
नोएडा ही नहीं एक अंधविश्वास आगरा के सर्किट हाउस को लेकर भी है. यहां पिछले 16 साल से कोई सीएम नहीं ठहरा. राजनाथ सिंह जब सर्किट हाउस में रुके तो कुछ समय बाद उनकी कुर्सी चली गई. आगरा सर्किट हाउस को लेकर मुख्‍यमंत्रियों में इतना खौफ रहा कि मुलायम सिंह यादव, मायावती और यहां तक अखिलेश यादव इसमें ठहरने की हिम्‍मत नहीं जुटा पाए. हालांकि सीएम योगी ने एक मिथक को तोड़ा. 

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एनडी तिवारी के बाद नहीं बना कोई दोबारा सीएम
उत्तर प्रदेश में पिछले कई दशकों से कोई पार्टी दोबारा सत्ता में नहीं आई. इसके पहले एनडी तिवारी (N D Tiwari) ही लगातार दो बार मुख्यमंत्री रहे. 1985 से कोई भी राज्‍य में लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बना है. सीएम योगी कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह अंधविश्वासों पर यकीन नहीं करते. इन्हें तोड़ने के लिए वह हमेशा कोशिश करते हैं. योगी से पहले बीजेपी का कोई भी सीएम प्रदेश में तीन साल से ज्‍यादा का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका. कल्याण सिंह ने दो बार और राम प्रकाश गुप्‍ता व राजनाथ सिंह ने एक-एक बार प्रदेश की कमान संभाली. हालांकि इनमें से कोई भी लगातार 3 साल से ज्‍यादा कुर्सी पर नहीं रहा.  

योगी दोबारा बने सीएम तो बनेगा एक और इतिहास   
1947 में देश की आजादी के बाद 1950 में चुनाव के बाद पहली सरकार बनी, तब से लेकर अब तक उत्तर प्रदेश में कोई भी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री नहीं बना, जिसने अपना पहला कार्यकाल पूरा किया हो. यूपी में पार्टी भले ही दोबारा सत्ता में आई हो लेकिन कभी कोई सीएम रिपीट नहीं हुआ. 3 जून 1995 को मायावती पहली बार जब सीएम बनीं तो उनकी सरकार 18 अक्टूबर 1995 तक चली और वो 137 दिन तक मुख्यमंत्री रहीं, लेकिन इसके बाद उनकी सरकार गिर गई और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग गया. इसके बाद 1997 को राष्ट्रपति शासन हटा और मायावती फिर से सीएम बनीं. लेकिन इस बार भी उनकी सरकार 184 दिन ही चल सकी. तो मायावती दूसरी बार सीएम जरूर बनीं लेकिन बीच में 1 साल से ज्यादा तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन रहा और मायावती ने अपना कार्यकाल पूरा भी नहीं किया था.

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पार्टी सत्ता में आई लेकिन दोबारा नहीं बना सीएम 
यूपी की राजनीति में एक रोचक पहलू यह भी है कि किसी पार्टी की सत्ता रिपीट हुई तो उसने अपने पिछले सीएम को मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं दी. 1950 से 1967 तक राज्य में कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन इस बीच में गोविंद वल्लभ पंत से शुरू हुई कुर्सी की कहानी चंद्रभान गुप्ता तक पहुंचते-पहुंचते बीच में पार्टी ने तीन सीएम और बदले. यानि 1950 से 1967 तक कांग्रेस की सरकार तो रही लेकिन हर बार मुख्यमंत्री बदलते रहे. 

वहीं 1980 से 1989 तक फिर से कांग्रेस की सरकार रही लेकिन इन 9 सालों में कांग्रेस ने 5 मुख्यमंत्री बना डाले. बीजेपी ने इससे पहले 1997 से 2002 तक पहली बार पांच साल तक यूपी की सत्ता चलाई लेकिन इन पांच सालों में बीजेपी ने भी 3 मुख्यमंत्री बदले. जब बीजेपी ने 21 सितंबर 1997 को सरकार बनाई तो कल्याण सिंह सीएम बने, फिर दो साल बाद सीएम बदलकर राम प्रकाश गुप्ता को मुख्यमंत्री की कुर्सी दे दी गई. इसके 351 दिन बाद राम प्रकाश गुप्ता को हटाकर बीजेपी ने राजनाथ सिंह को सीएम बना दिया. 

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If Yogi Adityanath becomes the Chief Minister again, many records will be broken in UP
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Yogi Adityanath बने दोबारा मुख्यमंत्री तो यूपी में एक साथ टूटेंगे कई रिकॉर्ड
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Yogi Adityanath बने दोबारा मुख्यमंत्री तो यूपी में एक साथ टूटेंगे कई रिकॉर्ड