डीएनए हिंदी: गुजरात (Gujarat) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) बेहद नजदीक हैं. जिग्नेश मेवाणी (Jignesh Mevani) कांग्रेस के साथ हैं. जिग्नेश वडगाम विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं. उन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया है. वह राज्य के दिग्गज नेताओं में भी शुमार हैं. जिग्नेश मोवाणी की दलित वोटरों में मजबूत पैठ है. कांग्रेस अगर उन्हें सूबे में आगे करे तो पार्टी की पकड़ और मजबूत हो सकती है.
गुजरात में करीब 7 फीसदी दलित वोटर हैं. ऐसी स्थिति कांग्रेस उनकी मौजूदगी भुनाने की पूरी कोशिश करे तो मजबूत बढ़त मिल सकती है. जिग्नेश मेवाणी अपने तेज तर्रार तेवरों की वजह से सूबे की सियासत में हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. वह केंद्र सरकार के खिलाफ बेहद आक्रामक हैं. जहां गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपना रहे हैं वहीं जिग्नेश कांग्रेस के साथ कड़े नजर आ रहे हैं.
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कैसे बढ़ा जिग्नेश का कद?
जिग्नेश मेवाणी आंदोलन से बने नेता हैं. 2016 में गुजरात के उना में दलित उत्पीड़न के खिलाफ उन्होंने आंदोलन छेड़ा था. उना में कुछ दलित युवाओं ने मरी हुई गाय की चमड़ी निकाली थी. गौ रक्षक समिति के कुछ सदस्यों ने उन्हें बुरी तरह सड़क पर पीट दिया था. युवकों की पिटाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.
जिग्नेश मेवाणी ने बीजेपी सरकार को घेरते हुए आंदोलन खड़ा कर दिया था. जिग्नेश के समर्थन में लोग सड़कों पर उतर आए थे. इस आंदोलन में उन्हें ओबीसी और दूसरी जातियों का भी समर्थन मिल गया था. देखते-देखते वह दलित और आदिवासी समाज के बड़े नेताओं में शुमार हो गए. अपने पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की और सूबे की सियासत बदलकर रख दी.
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BJP के खिलाफ हमेशा कड़े रहे हैं तेवर
जिग्नेश मेवाणी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ हमेशा मुखर रहे हैं. फिलहाल जिग्नेश मेवाणी असम पुलिस की हिरासत में है. उन्हें गुजरात के पालनपुर सर्किट हाउस से गिरफ्तार कर लिया गया है. जिग्नेश मेवाणी राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं.
कई राज्यों में दर्ज है केस
जिग्नेश मेवाणी के समर्थक कहत हैं कि जिग्नेश के खिलाफ दर्ज 10 से ज्यादा आपराधिक मामले इस बात का सबूत हैं कि वह बीजेपी नेताओं की आंखों में खटकते हैं. कांग्रेस अगर उन्हें पार्टी में आगे बढ़ाए तो सूबे की सियासत में शीर्ष नेतृत्व के हाथ और मजबूत हो सकते हैं. जिग्नेश मेवाणी के खिलाफ दर्ज ज्यादातर केस बीजेपी शासित राज्यों में हैं. कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी उनके खिलाफ केस दर्ज हैं.
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2017 में कालूपुर रेवले स्टेशन पर खड़ी राजधानी एक्सप्रेस को ब्लॉक कर देने का उन पर आरोप है. यह केस जनवरी 2017 का है. उनका नाम भीमा कोरेगांव केस में भी सामने आया था. आजादी कूच यात्रा को लेकर भी जिग्नेश मेवाणी सरकार पर निशाने पर थे. जिग्नेश मेवाणी की दलित युवाओं में भी बेहद लोकप्रिय हैं.
कांग्रेस का हाथ मजबूत कर सकते हैं जिग्नेश!
जिग्नेश मेवाणी तेजी से जन-नेता बनते जा रहे हैं. दलित वोटरों के साथ-साथ अल्पसंख्यकों में भी उनकी मजबूत पैठ है. उनकी जनसभाओं में भारी भीड़ होती है. जिग्नेश मेवाणी के रोड शो गुजरात में हमेशा चर्चा में रहे हैं. जिग्नेश मेहसाणा जिले से आते हैं. इस जिले के बाहर भी उनकी मजबूत पकड़ है. सियासी जानकारों का मानना है कि ऐसे में अगर कांग्रेस पार्टी उनके कद को सूबे में बढ़ाए तो विधानसभा चुनावों में बेहतर नतीजे नजर आ सकते हैं.
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Gujarat Election 2022: क्या गुजरात में कांग्रेस की डगमगाती नैया पार करा सकते हैं जिग्नेश मेवाणी?