डीएनए हिंदीः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के आखिरी चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें गाजीपुर सदर (Ghazipur Sadar Assembly Seat) सीट भी है. यहां के करंडा क्षेत्र में कण्व ऋषि का आश्रम है. पवहारी बाबा आश्रम, साढ़े चार सौ साल पुरानी रामलीला कमेटी और लंका मैदान शहर के मध्य में हैं. यहां दो सौ साल पुराना चर्च भी है. यहां के स्थानीय लोगों के बीच भोजपुरी भाषा बोली जाती है. वर्तमान में यूपी सरकार में राज्यमंत्री डॉ. संगीता बलवंत गाजीपुर की विधानसभा सीट के गाजीपुर सदर से विधायक हैं.
मुख्तार अंसारी ने शुरू की सियासत
गाजीपुर सदर के सियाती अतीत की बात करें तो इसी सीट से बाहुबली मुख्तार अंसारी ने सियासी सफर की शुरुआत की थी. मुख्तार अंसारी ने साल 1991 में गाजीपुर सदर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1996 में बसपा से उमाशंकर कुशवाहा, 2002 में सपा की शादाब फातिमा को जीत मिली. 2007 में इस सीट पर फिर बसपा का कब्जा हुआ. डॉक्टर राजकुमार गौतम यहां से विधायक बने. 2012 में एक बार फिर यह सीट सपा के खाते में गई और विजय मिश्रा विधायक चुने गए. यहां तीन दशक से कोई भी दोबारा विधायक नहीं चुना गया है.
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2017 के ये रहे नतीजे
गाजीपुर सदर विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने डॉक्टर संगीता बलवंत बिंद को चुनाव मैदान में उतारा. मोदी लहर में उन्हें जीत मिली. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के राजेश कुशवाहा को 32 हजार से अधिक वोट के अंतर से हराया.
सामाजिक ताना-बाना
प्रत्याशी | पार्टी | वोट | जीत का अंतर |
संगीता | बीजेपी | 92090 | 32607 |
राजेश कुशवाहा | सपा | 59483 | |
संतोष कुमार | बसपा | 54987 |
जातिगत समीकरण
अगर गाजीपुर सदर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो नगरीय इलाकों में बीजेपी का शुरू से कब्जा रहा है. यहां कुल करीब 3.50 लाख मतदाताओं में यादव, बिंद और दलित मतदाता सबसे ज्यादा हैं. मुस्लिम और क्षत्रिय वोटरों की संख्या भी अच्छी है.
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UP Assembly Election 2022: सदर विधानसभा में 3 दशक से दोबारा नहीं जीता कोई विधायक, इस पर क्या है समीकरण