पंजाब (Punjab) की कांग्रेस सरकार के 2 चरण हैं. पहले चरण की शुरुआत होती है जब 2017 के विधानसभा चुनावों के नतीजे आए. 16 मार्च 2017 को कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने पंजाब के मुखमंत्री पद की शपथ ली. तमाम भीतरी कलह के बाद भी कैप्टन सरकार 4 साल तक चली. 18 सितंबर 2021 को पार्टी के भीतर जारी घमासान की वजह से उन्हें इस्तीफा दे देना पड़ा. दूसरे चरण की शुरुआत 20 सितंबर 2021 को हुई जब कई दौर के मंथन के बाद कांग्रेस आलाकमान ने तय किया कि सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh) ही सूबे की कमान संभालेंगे. उन्होंने इसी दिन मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
Slide Photos
Image
Caption
दोनों मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में एक बात ही कॉमन रही है कि कभी नवजोत सिंह सिद्धू नाराज होते तो कभी खुश. पंजाब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार सुनील जाखड़ के नाराजगी की भी खबरें सामने आती रहीं. नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) जितने नाराज कैप्टन अमरिंदर से रहे उतने की नाराज सीएम चन्नी से भी. सीएम चन्नी के लिए पंजाब में अकाली दल, पंजाब लोक कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (BJP), और बहुजन समाज पार्टी (BSP) जैसे ही दल मुश्किलें नहीं खड़ी कर रहे हैं बल्कि कांग्रेस के भीतर ही उनके लिए तमाम चुनौतियां अब भी सामने खड़ी हैं. ऐसे में जनता में गलत संदेश न जाने पाए इसे रोकना सीएम चन्नी की सबसे बड़ी चुनौती है.
Image
Caption
चरणजीत सिंह चन्नी के सामने तमाम मुश्किलें हैं. कैप्टन अमरिंदर पंजाब लोक कांग्रेस का गठन कर चुके हैं. उन्हें अब भारतीय जनता पार्टी का साथ पसंद है. 18 सिंतबर 2021 तक पंजाब में उनकी सरकार थी. आचार संहिता लागू होने से पहले सीएम चरणजीत पूरी ताकत के साथ मुख्यमंत्री महज 111 दिन रहे हैं. अगर वे कांग्रेस सरकार के काम गिनवाएंगे तो प्रचार कैप्टन का होगा. अपना काम गिनाने के लिए उनके पास सिर्फ 111 दिन हैं. यह इतना कम है कि सरकारी प्रक्रिया को समझने में वक्त लग जाए. ऐसे में खुद उनके लिए अपनी उपलब्धियां गिनवा पाना मुश्किल है. अगर कांग्रेस सरकार की उपलब्धि जनता में गिनवाएंगे तो उसका फायदा सियासी तौर पर कैप्टन अमरिंदर को होगा. अगर अपनी गिनवाएंगे तो 111 दिन के कार्यकाल पर जनता के साथ-साथ विपक्ष तंज कसेगा.
Image
Caption
बुधवार को एक इंटरव्यू के दौरान पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने दावा किया है कि उनकी पार्टी 2017 के चुनाव से बेहतर करने जा रही है. पंजाब के भीतर कोई जंग नहीं है. हकीकत यह है कि न सिद्धू के सीएम चन्नी के खिलाफ तेवर नम पड़े हैं न चन्नी ही सिद्धू से खुश हैं. सिद्धू पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष हैं, चन्नी मुख्यमंत्री हैं. जैसे संकेत मिल रहे हैं, कांग्रेस दोनों के चेहरे का इस्तेमाल करने जा रही है. खुद हरीश चौधरी यह कह चुके हैं पार्टी संयुक्त प्रबंधन के दम पर चुनावी समर में उतर रही है. चुनावी मौसम में कलह और न बढ़ जाए इसी वजह से कांग्रेस ने अब तक सीएम चेहरे का ऐलान नहीं किया गया है. ऐसे प्रोजेक्ट किया जा रहा है कि पार्टी संयुक्त रूप से चुनाव लड़ रही है. सीएम चन्नी खुद इस बात पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं कि वे ही मुख्यमंत्री रहेंगे या कोई और.
Image
Caption
18 सितंबर 2021 को कैप्टन अमरिंदर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. 2 नवंबर 2021 वह तारीख थी जब कैप्टन ने कांग्रेस का साथ भी छोड़ दिया और नई पार्टी का ऐलान किया. यह पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में जा रही है. बीजेपी को अकाली दल का साथ छूटने के बाद एक साथी की तलाश थी. कैप्टन वही मजबूत साथी हैं. जानकारों का कहना है कि न सीएम चन्नी अपनी उपलब्धि गिना पाएंगे न ही पंजाब कांग्रेस की. ऐसे में चन्नी की मुश्किलें थमती नजर नहीं आ रही हैं. बीजेपी-कैप्टन गठबंधन इस बात का फायदा उठा सकता है.
Image
Caption
आम आदमी पार्टी (AAP) 111 दिन के कार्यकाल को लेकर सीएम चन्नी पर हमलावर है. रेत खनन और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता सीएम चन्नी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. चन्नी के एक रिश्तेदार के घर से कुछ करोड़ रुपये कथित तौर पर बरामद हुए हैं जिस पर विपक्ष हमला बोल रहा है. आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने भी चन्नी पर अवैध रेत खनन में शामिल होने का आरोप लगाया. कार्यकाल 111 दिन का लेकिन दाग इससे कहीं ज्यादा. भगवंत मान के नेतृत्व वाली पंजाब की आम आदमी पार्टी लगातार सीएम चन्नी के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है.
Image
Caption
कैप्टन अमरिंदर तब पंजाब में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे थे. वही पार्टी की कमान संभाल रहे थे. आलाकमान को भरोसा था कि वह अपने दम पर ही कांग्रेस को पंजाब में जीत दिला सकते हैं. यही हुआ भी. अकाली दल और बीजेपी दल का गठबंधन प्रचंड मोदी लहर में बेअसर नजर आया. कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी को विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 80 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. अकाली दल महज 14 सीटें हासिल कर पाया था वहीं मोदी लहर में भी बीजेपी के हिस्से 2 सीटें आईं थीं. आम आदमी पार्टी नई पार्टी थी लेकिन 17 सीटें हासिल करने में कामयाब हो गई थी. गौरतलब है कि पंजाब में विधानसभा चुनाव 2022 के लिए 20 फरवरी को मतदान होगा और 10 मार्च को नतीजे सामने आएंगे.