पश्चिमी यूपी में राकेश टिकैत के प्रभाव से इन चुनावों में कोई इनकार नहीं कर रहा है. इस बीच UP Vidhan Sabha Chunav 2022 में किस दल के विरोध या समर्थन में टिकैत होंगे, उन्होंने उस पर खुलकर कुछ नहीं कहा है. किसान आंदोलन का बड़ा प्रभाव पश्चिमी यूपी पर ही था और टिकैत भी उसी इलाके के हैं. माना जा रहा है कि टिकैत के समर्थन या विरोध का प्रभाव पश्चिमी यूपी जिसे जाट लैंड भी कहते हैं पर पड़ सकता है.
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एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे राकेश टिकैत ने चुनाव को लेकर खुलकर कोई बात नहीं की. उन्होंने कहा कि जनता सब समझती है. हमने गांववालों को समझा दिया है कि इस बार कहां वोट देना है.
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राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि क्या वह राजनीति में उतरने वाले हैं, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया. किसान नेता ने कहा कि वह किसानों की हित की बात करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वह खेती-किसानी से जुड़े हैं और किसानों के लिए आगे भी आंदोलन करते रहेंगे.
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बता दें कि इस चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी सपा का पश्चिमी यूपी में कभी प्रभाव रखने वाली आरएलडी से गठबंधन है. कुछ दिन पहले टिकैत चौधरी चरण सिंह की स्मृति में आयोजित कार्यक्रम में जयंत चौधरी के साथ दिखे थे. हालांकि, अखिलेश को समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगला मुख्यमंत्री वही होगा जो बिजली सस्ती करेगा. बता दें कि अखिलेश यादव ने 300 यूनिट फ्री बिजली देने का वादा किया है. टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार बनने के बाद वादे से हटे तो आंदोलन होगा.
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किसान आंदोलन के दौरान टिकैत और किसान नेताओं ने केंद्र की मोदी सरकार पर खूब निशाना साधा था. टिकैत ने उस दौरान योगी सरकार को भी आड़े हाथों लिया था. योगी के दोबारा सीएम बनने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'इस बार की सरकार के कर्मकांड ऐसे नहीं हैं कि उन्हें दोबारा वोट दिया जाए.' उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि सीएम वही बनेगा जो बिजली सस्ती करेगा.
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राकेश टिकैत के अब तक के रुख से स्पष्ट है कि इस चुनाव में सीधे मैदान में उतरने का उनका कोई इरादा नहीं है. ऐसा लग रहा है कि इस चुनाव में टिकैत की पहली कोशिश अपनी ताकत आंकने की है. वेस्टर्न यूपी में ही उनका प्रभाव है और वह इन चुनाव नतीजों पर नजर रखकर शायद भविष्य के अपने संकल्पों को तय करना चाहते हैं.