उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए पहले फेज की वोटिंग 10 फरवरी को होनी है. बीजेपी इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक रही है. आज गृहमंत्री और पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कैराना में घर-घर जाकर वोट मांगे. शाह का चुनाव प्रचार के लिए चुनना एक बहुत सधी हुई रणनीति है. बीजेपी की यह प्लानिंग कितनी जबरदस्त है, इससे ही समझ सकते हैं कि शाह के कैराना पहुंचने से पहले ही जाट-मुस्लिम समुदाय से अखिलेश यादव ने खास अपील भी कर दी है. समझें कैराना का पूरा समीकरण.
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2017 के चुनावों में कैराना से हिंदुओं के पलायन के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया गया था. उस वक्त बीजेपी का आरोप था कि 2013 के दंगों के बाद से कैराना से बड़े पैमाने पर हिंदुओं का पलायन हुआ है. बीजेपी के इस मुद्दे को उठाने का नतीजा यह रहा कि हिंदुओं का पलायन मुद्दा सिर्फ कैराना तक नहीं बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हावी रहा.
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मुजफ्फरनगर और शामली जिला मुस्लिम बहुल इलाका है. यहां 40 फीसदी आबादी मुसलमानों की है. बीजेपी ने इस इलाके में पिछले चुनावों में 2013 के दंगे, हिंदुओं के डरे होने और पलायन जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था. रणनीतिकारों का मानना है कि चुनाव प्रचार की शुरुआत यहां से कर शाह अपने कोर वोटरों को बड़ा संदेश दे रही है.
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चुनावी रणनीति के जानकार मानते हैं कि वेस्ट यूपी के इस इलाके में किसान आंदोलन से उपजी नाराजगी खत्म करने के लिए भी बीजेपी पूरा जोर लगा रही है. तीनों कृषि कानूनों की वापसी के साथ ही बीजेपी पहले ही डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर चुकी है. वेस्ट यूपी में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए भी बीजेपी के रणनीतिकारों खास तौर पर वेस्ट यूपी में काफी कोशिश कर रहे हैं.
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2017 विधानसभा चुनावों और 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को पश्चिमी यूपी से जाट वोटों का अच्छा समर्थन मिला था. आरएलडी जैसे क्षेत्रीय दल होने के बावजूद भी जाट मतदाताओं ने ब्रांड मोदी पर भरोसा दिखाया था. किसान आंदोलन की वजह से जाट वोटरों में जो थोड़ी-बहुत नाराजगी है, बीजेपी उसे चुनाव से पहले दूर करने की हर कोशिश कर रही है. पश्चिमी यूपी से गृहमंत्री अमित शाह का चुनाव प्रचार करना कोर वोटरों से साथ नहीं छोड़ने देने की सांकेतिक अपील भी है.
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यूपी चुनाव में बीजेपी का चुनाव प्रचार विकास, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के ईर्द-गिर्द घूम रहा है. कैराना इन तीनों ही मुद्दों को मजबूत ढंग से उठाने के लिए मुफीद जगह है. हिंदू पलायन के मुद्दे के बाद बीजेपी अब क्षेत्र में दंगा-मुक्त प्रदेश, सख्त प्रशासन और विकास का दावा जोर-शोर से करेगी और इन दावों को पुष्ट करने के लिए पार्टी के पास बेशुमार मुद्दे भी हैं. कश्मीर से धारा 370 खत्म करना, इलाके में हिंदुओं का पलायन रोकने में सफलता, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और राम मंदिर जैसे मुद्दों से वोटरों को जोड़ने की कोशिश करना बीजेपी के लिए सटीक रणनीति है.