डीएनए हिन्दी: गुजरात कांग्रेस (Gujarat Congress) के कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि करीब ढाई दशक बाद प्रदेश में परिवर्तन देखने को मिल सकती है. गुरुवार को वे हाताश-निराश दिखे.  उनका गुस्सा वाजिब भी है. यही कांग्रेस है जो 1985 में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में रिकॉर्ड 149 सीटों पर जीत दर्ज की थी और आज 17 सीटों पर सिमट गई है. उसके विपक्ष के आधिकारिक दर्जे पर भी खतरा पैदा हो गया है. 182 सीटों वाली विधानसभा में प्रमुख विपक्षी दल के लिए 10 फीसदी यानी 18 सीटों की जरूरत थी लेकिन कांग्रेस 17 पर ही सिट गई.

अब सवाल उठने लगा है कि कांग्रेस के शर्मनाक प्रदर्शन के लिए कौन जिम्मेवार है? पार्टी कार्यकर्ता का मानना है कि 2019 में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के अध्यक्ष पद त्यागने के बाद कांग्रेस दिशाहीन हो गई है. उसे कहां जाना है, क्या करना है, पता ही नहीं चल पा रहा है. पार्टी की इसी स्थिति ने कांग्रेस के लिए खुला मैदान छोड़ दिया है. बीजेपी ने इसका पूरा फायदा उठाया है. 

हाल ही में कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिला है. वह भी गांधी परिवार से बाहर का. राहुल ने उनके साथ काम करने की इच्छा भी प्रकट की है, लेकिन दो साल तक दिशाहीन रही कांग्रेस के नुकसान को वह कितना भरपाई कर पाएंगे यह समय तय करेगा.

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केरल, बीजेपी, असम और गोवा जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस की जीत की उम्मीद ज्यादा थी, वहां मिली हार के कारण गुजरात में भी हार के लक्षण दिख रहे थे. अब कांग्रेस के पास एक और खतरा पैदा हो गया है, जो राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक के चुनाव में दिख सकता है. इन प्रदेशों में कांग्रेस बनाम बीजेपी की लड़ाई होगी तभी उसे सत्ता का सुख मिल सकता है. अगर इन चुनावों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी चुनाव में उतरती है तो निश्चिततौर पर वह कांग्रेस को ही डेंट करेगी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का उभार कांग्रेस के लिए एक बड़ा खतरा है.

गुजरात में हार से ज्यादा कांग्रेस वोटों के अतंर से परेशान है. कांग्रेस को डर सता रहा है कि कहीं आने वाले समय में वह गुजरात की लड़ाई से बाहर न हो जाए. यानी गुजरात में उसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. बीजेपी की अप्रत्याशित जीत के पीछे दो सालों से कांग्रेस का मैदान छोड़ना माना जा रहा है. हालांकि, हिमाचल का परिणाम उसे थोड़ा सा राहत देने वाला है.

नेता के मनोबल और उत्साह का कार्यकर्ताओं पर बड़ा असर पड़ता है. ऐसा कई बार देखा गया है कि राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि मुझे राजनीतिक सत्ता में कोई दिलचस्पी नहीं है. पार्टी कार्यकर्ता इसे निराशाजनक संदेश के रूप में देखते हैं. यही नहीं जो वोटर लंबे समय से कांग्रेस को वोट देते आए हैं वे भी इसे निराशाजनक रूप से लेते हैं. अगर 2024 में कांग्रेस का इसी तरह प्रदर्शन रहा तो देश की सबसे पुरानी पार्टी गुजरात की राजनीति से 'गायब' हो सकती है.

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Gujarat election 2022 Rahul Gandhi may be behind congress defeat in gujarat Narendra Modi
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क्या गुजरात में कांग्रेस की शर्मनाक हार के लिए राहुल गांधी हैं जिम्मेदार?
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राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी.

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क्या गुजरात में कांग्रेस की शर्मनाक हार के लिए राहुल गांधी हैं जिम्मेदार?