डीएनए हिंदी: गुजरात में विधानसभा चुनावों की घोषणा (Gujarat Assembly Elections 2022) हो चुकी है. इस बार बीजेपी, कांग्रेस के साथ-साथ AAP भी मुकाबले में है. 2017 में गुजरात में कांग्रेस ने एक समय रुझानों में बीजेपी पर बढ़त बना ली थी, लेकिन अंत में बहुमत से 15 सीटें दूर रह गई. साल 2017 में 29 सीटों पर जीत का अंतर 2 प्रतिशत से भी कम था. यहीं नहीं करीब 1/3 यानी 60 सीटों पर जीत का अंतर 6% से भी कम रहा है.
इस बार AAP की एंट्री से मुकाबला दिलचस्प हो गया है. आइए जानते हैं कि किन-किन सीटों पर जीत का अंतर बहुत ही मामूली रहा है. इन कम अंतर वाली सीटों पर संभव है कि पार्टियां एंटी-इनकंबेंसी से पार पाने के लिए टिकटों पर भी कैंची चलाए.
चुनाव दर चुनाव कम हो रहा है बीजेपी और कांग्रेस का वोट प्रतिशत
साल 2017 के गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 50% वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस को 42.2% वोट मिले थे. दोनों दलों को वोटों में 7.8% का अंतर था. ये मार्जिन पिछले 4 विधानसभा चुनावों में सबसे कम था.
साल 2002 में बीजेपी और कांग्रेस का अंतर 10.6% था, जो साल 2007 में बढ़कर 11.1% हो गया है. इसके बाद 2012 में अंतर कम होकर 9% हो गया था.
हालांकि, इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में उतरने से मामला कई सीटों पर त्रिकोणीय हो गया है. आम आदमी पार्टी कई सीटों का सीधे-सीधे और परोक्ष रूप से प्रभावित करेगी. संभावना है कि दशकों की एंटी-इनकंबेंसी के बावजूद सरकार विरोधी वोटों के बंटवारे से कांग्रेस के लिए राह मुश्किल होगी.
29 सीटों पर जीत का अंतर 2 प्रतिशत से कम
पिछले साल गुजरात विधानसभा चुनावों में कांटे की लड़ाई थी. कई सीटों पर मामला अंतिम समय तक लटकता रहा था. 29 सीटों पर अंतर 2 प्रतिशत से भी कम था. साल 2017 में 11 सीटों पर मत प्रतिशत का अंतर 1% से भी कम था. वहीं 1 से 2 प्रतिशत के अंदर मतों के अं 18 सीटें थीं. इन 29 सीटों में से 15 सीटें बीजेपी और कांग्रेस को 13 सीटें मिली थीं.
कुल मिलाकर करीब 1/3 सीटों (60) पर जीत का अंतर 6 प्रतिशत से कम था. इन सीटों में से 27 सीटें बीजेपी और 31 सीटें कांग्रेस के हिस्से आई थीं.
6 प्रतिशत से कम अंतर वाली 60 सीटों की सूची
नीचे इन 60 सीटों की सूची दी गई है, जिनमें मतों का अंतर 6 प्रतिशत से कम रहा है. संभव है कि एंटी-इनकंबेंसी से बचने के लिए इनमें से बहुतों के टिकट काट दिए जाएं. हालांकि, पार्टियां पिछले चुनावों के मतों के अंतर के साथ-साथ, इंटरनल सर्वे के आधार पर भी राय बनाती हैं.
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