डीएनए स्पेशल: मुलायम परिवार में जारी घमासान के खत्म होने के आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं. भतीजे अखिलेश यादव बनाम चाचा शिवपाल यादव के बीच की लड़ाई खत्म होती नजर नहीं आ रही है. समाजवादी कुनबे में जारी कलह के और बढ़ने के संकेत तब मिले जब प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को सीट शेयरिंग पर अल्टीमेटम दे दिया. उन्होंने कहा है कि गठबंधन में देरी करना उचित नहीं है और अब गठबंधन पर एक हफ्ते में फैसला हो जाना चाहिए.

पहले ऐसी अटकलें लगाई जा रही थी कि मुलायम परिवार में आई सियासी फूट अब खत्म होगी और चाचा-भतीजा साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. शिवपाल यादव एक अरसे से मांग कर रहे हैं कि अखिलेश यादव उनके साथ बातचीत करें जिससे पारिवारिक कलह खत्म हो. 

शिवपाल यादव कई बार सार्वजनिक मंचों से कह चुके हैं कि अखिलेश यादव के साथ वे जाने को तैयार हैं, इसके लिए वे कई बार कोशिशें भी कर चुके हैं लेकिन अखिलेश ही उन्हें तवज्जो नहीं रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अखिलेश यह बात जानते हैं कि शिवपाल की सियासी जमीन अब पहले की तरह मजबूत नहीं रह गई है. यही वजह है कि वे शिवपाल को साथ लेना नहीं चाह रहे हैं.

 22 नवंबर को सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन था. शिवपाल यादव अपने भाई का जन्मदिन धूमधाम से मनाते रहे हैं. इटावा में शिवपाल यादव ने दंगल और कवि सम्मेलन का आयोजन किया था. उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए यह दोहराया कि साल 2019 में हमने कहा था कि चलो हम ही झुक जाएंगे. आज दो साल हो गए हैं लेकिन कोई बात नहीं बनी है. यहीं से शिवपाल ने अखिलेश को अल्टीमेटम भी दिया है.

अखिलेश से नहीं मिल रहा चाचा शिवपाल को भाव

शिवपाल यादव के 1 हफ्ते के अल्टीमेटम को भी लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. हर बार समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन का एक्सटेंशन शिवपाल यादव बढ़ाते जा रहे हैं. शिवपाल यादव कई बार यह भी कह चुके हैं कि अखिलेश यादव अनुरोध के बाद भी उन्हें मिलने के लिए समय नहीं देते. जब यूपी में विधानसभा चुनावों में कुछ ही महीने बचे हैं तब भी अखिलेश यादव शिवपाल को भाव नहीं दे रहे हैं. 
 
दरअसल अखिलेश यादव यह साफ कर चुके हैं कि अगर एक सप्ताह के अंदर गठबंधन पर फैसला नहीं लिया गया तो सूबे की राजधानी लखनऊ में सम्मेलन होगा और मेगा रैलियों का आयोजन किया जाएगा. शिवपाल यादव को उम्मीद है कि 2022 प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सत्ता में आएगी. 

चाचा-भतीजे में 'आन' की लड़ाई

अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी का एक फिक्स वोट बैंक है. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, सपा से तब अलग हुई जब शिवपाल को अखिलेश यादव ने सपा से किनारे लगा दिया. मुलायम सिंह के नेतृत्व में सत्ता के सबसे बड़े चेहरे रहे शिवपाल 2017 से ही उपेक्षित हैं. अखिलेश यादव उन्हें चाचा तो कहते हैं लेकिन राजनीतिक सम्मान नहीं देते. सियासी पकड़ को लेकर हाशिए पर जा रहे शिवपाल यादव चाह रहे हैं कि उनकी गिनती भी सूबे में प्रमुख विपक्षी नेताओं में हो.

इसलिए शिवपाल को नजरअंदाज कर रहे हैं अखिलेश यादव

सामाजिक पकड़ के मामले में सपा के पास फिक्स वोट बैंक हैं. राजनीति के जानकार कहते हैं कि मुस्लिम-यादव समीकरण सपा के साथ हैं. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ ऐसी स्थिति नहीं है. यह पुराने राजनेता की नई पार्टी है. शिवपाल के अलावा इस पार्टी में न तो कोई पॉपुलर फेस है न ही लोग कनेक्ट हुए हैं. ऐसे में अखिलेश यादव शिवपाल को बहुत महत्व नहीं दे रहे हैं. अखिलेश यादव जानते हैं कि शिवपाल उनकी पार्टी के साथ गठबंधन करें न करें उनका वोट प्रभावित नहीं होने वाला है. यूपी विधानसभा चुनावों में उनकी सीधी लड़ाई सिर्फ भारतीय जनता पार्टी के साथ है. दूसरे प्रभावशाली दलों को वे अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन शिवपाल की प्रगतिशील पार्टी से चुनावी दूरी बनाए हुए हैं. 
 

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Mulayam Singh Yadav Family political clash Akhilesh Yadav Shivpal Yadav UP Election
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चाचा शिवपाल से क्या चुनावी गठबंधन करेंगे सपा अध्यक्ष अखिलेश?
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शिवपाल यादव और अखिलेश यादव (फाइल फोटो-PTI)
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