डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ते ही सियासी बिसात बिछाने का काम शुरू हो चुका है. ज्यादातर राजनीतिक दल एक्शन में दिखाई दे रहे हैं लेकिन इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती कहां हैं? यूपी की बड़ी पार्टियों में से एक बसपा की चुनाव को लेकर क्या तैयारी है? आइए जानते हैं...
दरअसल, 9 अक्टूबर को मायावती ने ये कहकर चुनाव की हूंकार भर दी थी कि कुछ लोग जानबूझकर बसपा को कमजोर बता रहे हैं। मायावती ने ये भी कहा था कि बसपा की रैलियों को देखकर उन्हें इस ताकत का अंदाजा होगा।
क्या कर रही है पार्टी?
बहुजन समाज पार्टी ने यूपी इलेक्शन के लिए सबसे पहले अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया था. बसपा ने जुलाई में ही कानपुर की बिठूर सीट से प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी थी. इसके बाद से बसपा लगातार अन्य सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर रही है. बसपा सोशल इंजीनियरिंग को साधने में लगी है.
हाल ही पार्टी ने कानपुर देहात की दो विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की है. रनियां से विनोद पाल को मैदान में उतारा गया, तो वहीं भोगनीपुर से ब्राह्मण प्रत्याशी संतोष त्रिपाठी उम्मीदवार होंगे.
ब्राह्मण वोट बैंक को साधने की कोशिश
23 जुलाई को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने अयोध्या से 'ब्राह्मण सम्मेलन' की शुरुआत की थी. हालांकि बाद में इस आयोजन का नाम बदलकर 'प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान में संगोष्ठी' कर दिया गया लेकिन इसे स्पष्ट रूप से राज्य के ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने के लिए बसपा के प्रयास के रूप में देखा गया.
मायावती का ये प्लान महज संयोग नहीं है. 2007 में, पार्टी ने 403 सीटों में से 206 सीटें जीतकर अपने दम पर बहुमत हासिल किया. उस समय, बसपा के उम्मीदवारों की सूची चुनाव से महीनों पहले घोषित की गई थी, जिसमें ओबीसी, दलित, ब्राह्मण और मुस्लिम चेहरे शामिल थे.
राज्य की सामाजिक राजनीति कैसे काम करती है, इसका गणित समझने के लिए जनसंख्या के विभाजन को समझना जरूरी है। 2011 की जनगणना के अनुसार, व्यक्तिगत जाति का सबसे अधिक हिस्सा जाटवों का है - 12 प्रतिशत. जाटवों के बाद ब्राह्मण दूसरे स्थान पर आते हैं. ये लगभग 10 प्रतिशत हैं. कुल जनसंख्या में ब्राह्मणों की हिस्सेदारी के मामले में, उत्तर प्रदेश दो पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बाद तीसरे स्थान पर आता है.
इस तरह साधने की कोशिश
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ब्राह्मण वोटबैंक साधने की कोशिश में जुटे हैं. वह कार्तिक पूर्णिमा पर वृंदावन पहुंचे और संतों को भोजन करा उनका सम्मान किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी 500 संत-महंतों के साथ भोजन व उनका सम्मान किया था.
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