- अरुण सिंह
'लेजेंड्स ऑफ हैदराबाद' नाम की अपनी किताब में पूर्व नौकरशाह नरेन्द्र लूथर ने कई दिलचस्प किस्से लिखे हैं. यह किताब इस शहर से जुड़े दस्तावेजी साक्ष्यों, साक्षात्कारों और निजी अनुभवों पर आधारित हैं.
इनमें से एक कहानी जय हिंद नारे की उत्पत्ति से जुड़ी है जो बहुत दिलचस्प है. लेखक के मुताबिक यह नारा हैदराबाद के एक कलेक्टर के बेटे जैनुल अबिदीन हसन ने दिया था जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए जर्मनी गए थे. मालूम हो कि दूसरे विश्वयुद्ध के समय नेताजी भारत को आजाद कराने को लेकर सशस्त्र संघर्ष के लिए समर्थन जुटाने जर्मनी चले गए थे. वहां हसन उनका दुभाषिया बना.
लूथर ने लिखा है, 'नेताजी अपनी सेना और आजाद भारत के लिए एक भारतीय अभिभावन संदेश चाहते थे. बहुत सारी सलाहें मिलीं. हसन ने पहले हैलो शब्द दिया. इसपर नेताजी ने उन्हें डपट दिया. फिर उन्होंने जय हिंद का नारा दिया जो नेताजी को पसंद आया और इस तरह जय हिंद आईएनए और क्रांतिकारी भारतीयों के अभिवादन का आधिकारिक रूप बन गया.
जय हिंद!
(अरुण सिंह पत्रकार हैं. लेखक हैं और इतिहास में गहरी रुचि रखते हैं )
(यहां दिए गए विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)
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