डीएनए हिंदी: सोशल मीडिया आज राष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहा है. किसी एक निश्चित दिन बालिका दिवस मनाना लड़कियों के जीवन के उन तमाम दिनों के साथ मजाक करने जैसा है जिनमें वे अपने परिवार के द्वारा सुविधाओं के असमान वितरण के बावजूद विभिन्न परिवारिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए भी लड़कों से आगे निकलकर अपने जीवन को एक उद्देश्य देने में सफल होती हैं.
हालांकि आज लड़कियां जीवन के हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं लेकिन आंकड़े उठाकर देखें तो इनमें से ज्यादातर लड़कियां उच्च आय वर्ग या फिर मध्यम आय वर्ग से आती हैं लेकिन उन बच्चियों का क्या जो निम्न आय वर्ग से हैं या उन परिवारों से हैं जिनकी आय का कोई निश्चित साधन नहीं. ऐसी बच्चियों के भी अपने सपने हैं, आकांक्षाएं हैं. ये बेटियां भी ऊंची उड़ान भरना चाहती है, पढ़ना चाहती हैं और जीवन में बढ़ना चाहती हैं.
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आज बालिका दिवस पर मैं उन्हीं बच्चियों के संघर्ष को याद करते हुए एक गीत उन्हीं बच्चियों को समर्पित कर रही हूं जो सुबह सुबह घर का काम निबटाकर गर्मी सर्दी की परवाह न करते हुए निकल पड़ती हैं अपनी अपनी संघर्ष गाथा लिखने.
कोई बेटी कहीं अपने परिवार के लिए रोजी रोटी की व्यवस्था कर रही है तो कहीं कोई हर दिन लड़कर अपनी पढ़ाई पूरी करने की कोशिशों में लगी है. साफ है कि समाज में इनके योगदान का मूल्य एक दिन बालिका दिवस मनाकर नहीं आंका जा सकता इसलिए इनके संघर्षों में इन्हें अपना समर्थन दीजिए...
पढ़िए यह गीत.....
फूल कागज के समझो न साथी इन्हें
इनकी खुशबू को थोड़ा बिखरने तो दो
बेटियां हैं अभी अधखुली खिड़कियां
इनमें ताजी हवाएं महकने तो दो
नन्हीं आंखों में सपने हजारों लिए
बंद मुठ्ठी में दुनिया समेटे हुए
बेटियां हैं अभी अधलिखी पत्तियां
इनको पूरी कहानी सुनाने तो दो
मुझको पतझड़ में दे दी हंसी मखमली
ऋतु बसंती को तन पर लपेट हुए
मन की पीड़ा को भीतर समेटे हुए
बेटियां हैं अभी अधखिली पंखुड़ी
इनकी सांसों को थोड़ा महकने तो दो
बाग चन्दन सा महके है यह बेटियां
प्यार का एक बन्धन हैं ये बेटियां
मां के दिल की कहानी हैं यह बेटियां
इनके अश्कों को आंचल में तुम थाम लो
टूटे दिल की निशानी है यह बेटियां.
(सरोज कुमारी दिल्ली विश्वविद्यालय के विवेकानंद कॉलेज में हिंदी पढ़ाती हैं. यह पोस्ट उनकी फेसबुक वॉल से यहां साभार प्रकाशित की जा रही है.)
(यहां प्रकाशित किए जा रहे विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)
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एक गीत उन बच्चियों के नाम जो उड़ान भरना चाहती हैं