डॉ. नूतन यादव

आजकल फेसबुक पर एक विज्ञापन चर्चा में बना हुआ है. यह एक वैवाहिक विज्ञापन है जो शायद जानबूझकर प्रचार पाने के लिए और विवाद पैदा करने के लिए छपवाया गया है. यह विज्ञापन फिलहाल काम नहीं कर रहे मतलब एक बेरोजगार दांतों के डॉक्टर ने छपवाया है जिसे  एक कन्या की तलाश है जो सर्वगुण सम्पन्न हो. विवाह हेतु कन्या में समान धर्म, जाति, सुन्दरता, ऊंचाई और गोरे रंग की इच्छा पालने वाले पुरुष आपने देखे ही होंगे मगर 'डॉक्टर' अभिनव कुमार एक दुर्लभ प्रजाति के प्राणी जान पड़ते हैं.

देशभक्त पत्नी की तलाश
इन्हें भावी पत्नी अति वफादार, अति विश्वसनीय, स्नेही, ध्यान रखने वाली बहादुर, शक्तिशाली और अमीर चाहिए. इनकी इच्छा सूची यही खत्म नहीं हो जाती. गुणों में इन्होने आजकल मार्किट में चल रहे नए गुणों को भी शामिल किया है. ये अंग्रेजी में लिखते हैं (EXTREMLY PATRIOTIC TO INDIA WITH A KEEN DESIRE TO INCREASE INDIA'S MILITARY AND SPORTS CAPABILITIES). इस शब्दावली से साफ़ पता चल रहा है कि अभिनव नाम का यह बेरोजगार आदमी यह सब प्रसिद्धि पाने के लिए कर  रहा है. अपने देश भारत से हम सभी प्यार करते हैं लेकिन भारत की सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए अपनी भावी पत्नी के लिए उन्होंने क्या भूमिका सोची है साथ ही भारत के खेल के क्षेत्र में उनकी होने वाली पत्नी की क्या जिम्मेदारियां होंगी. यह सब सोचकर ही इस आदमी के दिमागी बीमार होने के पर्याप्त सबूत  मिल रहे हैं. EXTREMIST BUT COMPASSIONATE  के कई अर्थ  निकाले जा सकते हैं. 

Dr Nutan Yadav

बच्चा पालने में एक्सपर्ट हो पत्नी
भावी पत्नी बच्चा पालने में एक्सपर्ट होनी चाहिए माने घर खानदान के सभी बच्चों के डायपर बदलने, दूध की बोतल तैयार करने का अच्छा खासा अनुभव उसके पास हो. खाने बनाने में अति निपुण पत्नी तो हर पति की खवाहिश होती है. (सिलबट्टे पर पिसी चटनी का संदर्भ भूल तो नहीं गए ना). लड़की कमाऊ भी होनी चाहिए वरना बेरोजगार का पेट कैसे पलेगा? बबुआ फ़ोन पर बात नहीं करता इसलिए SMS करें. बबुआ के लिए इन सभी गुणों से लैस नौकरी वाली लड़की होना भी काफी नहीं था. उन्होंने विज्ञापन का अंत विशुद्ध भारतीय मानसिकता की परिचायक पंक्तियों से करवाया है. बबुआ के लिए सम्पूर्ण कुंडली मिलान और 36 गुणों का मिलना अनिवार्य है. 

है कोई माई की लाली जो देश के इस सपूत से विवाह करने को हो तैयार? 
जब से यह विज्ञापन पढ़ा है तब से इस व्यक्ति को सामने से देखने की इच्छा पैदा हो गई है. कैसा दिखता होगा काला या सांवला? चाय बना लेता होगा? भारत पकिस्तान क्रिकेट मैच देखते हुए कैसे रिएक्ट करता होगा? अगर कोई बच्चा उसकी गोद में पेशाब करता होगा तो कैसे संभालता होगा? 15 अगस्त और २6 जनवरी पर क्या - क्या करता होगा? परेड तो पूरी ही देखता ही होगा? ईमानदार और भरोसे लायक होगा? 
वैसे एक बात और रह गई कि अगर बबुआ बेरोजगार है तो यह विज्ञापन तो बबुआ ने पापा के पैसों से ही छपवाया होगा.

(डॉ. नूतन यादव लेखिका हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाती हैं.) 


(यहां प्रकाशित विचार लेखक के नितांत निजी विचार हैं. यह आवश्यक नहीं कि डीएनए हिन्दी इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे और आपत्ति के लिए केवल लेखक ज़िम्मेदार है.)

 

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बेरोजगार डेंटिस्ट को 36 नहीं 101 गुणों वाली वधू चाहिए
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